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एसडीओपी एवं थाना प्रभारी ने पंडालों का किया निरीक्षण, शांति व सुरक्षा पर की चर्चा हुई

एसडीओपी एवं थाना प्रभारी ने पंडालों का किया निरीक्षण, शांति व सुरक्षा पर की चर्चा हुई

ब्यूरो रिपोर्टर सतेंद्र जैन
कटनी, 24 सितम्बर 2025।

नवरात्रि पर्व के अवसर पर एसडीओपी श्रीमती आकांक्षा चतुर्वेदी एवं थाना बहोरीबंद प्रभारी द्वारा आज क्षेत्र के विभिन्न पंडालों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने आयोजकों एवं उपस्थित नागरिकों से मुलाकात कर शांति व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन और कानून व्यवस्था बनाए रखने संबंधी चर्चा की।

थाना प्रभारी ने बताया कि पर्व के दौरान पुलिस द्वारा लगातार गश्त व निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। साथ ही आयोजकों से अपील की गई कि वे निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करें।

माँ दुर्गा के नौ रूप, जिन्हें ‘नवदुर्गा’ भी कहते हैं, क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में इन्हीं रूपों की पूजा की जाती है, और प्रत्येक रूप का एक विशेष महत्व होता है। ये सभी रूप माँ दुर्गा के विभिन्न शक्तियों और स्वरूपों का प्रतीक हैं।
माँ दुर्गा के नौ रूपों का विवरण:
शैलपुत्री: यह हिमालय पर्वतराज की पुत्री होने के कारण ‘शैलपुत्री’ कहलाईं और यह माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं।
ब्रह्मचारिणी: यह माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप है, जिन्होंने महादेव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।
चंद्रघंटा: जिनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है, उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
कूष्मांडा: यह ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली आदि शक्ति हैं और इन्हें ‘अष्टभुजा देवी’ भी कहते हैं।
स्कंदमाता: यह कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और प्रत्येक पुत्रवान माता-पिता का स्वरूप हैं।
कात्यायनी: ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित होकर महिषासुर का वध करने वाली देवी।
कालरात्रि: यह दुष्टों का संहार करने वाली माँ काली का स्वरूप हैं, जो सभी को मृत्यु प्रदान करती हैं।
महागौरी: यह भगवती का आठवाँ स्वरूप है, जो अत्यंत पवित्र और गौर वर्ण का है।
सिद्धिदात्री: यह ज्ञान और बोध का प्रतीक हैं, जिन्हें प्राप्त करके साधक परम सिद्ध हो जाता है।

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