- माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं-12वीं परीक्षा की कॉपियां जांचते समय शिक्षकों को कुछ इस तरह के नोट्स भी कॉपियों में लिखे मिल रहे हैं।
सर, मैं आपकी बेटी जैसी हूं, बीमार होने से कॉपी में नहीं लिख पाई, प्लीज मुझे पास कर देना। इस बार गणित व अंग्रेजी का पेपर कठिन था, मुझे फेल मत करना, पासिंग नंबर दे देना…। माता-पिता की तबीयत अचानक से खराब हो गई थी, इसलिए पढ़ाई नहीं हुई, अच्छे नंबर दे देना। सर प्लीज मुझे फेल मत करना, पास कर दो इससे मेरी शादी हो जाएगी…..। इन दिनों माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं-12वीं परीक्षा की कॉपियां जांचते समय शिक्षकों को कुछ इस तरह के नोट्स भी कॉपियों में लिखे मिल रहे हैं। ये नोट्स विद्यार्थियों ने कॉपी के पहले अथवा आखिरी पन्ने पर लिखे हैं।
शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शिंदे की छावनी में बोर्ड परीक्षा की कॉपियां जांच रहे शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नोट्स में सबसे ज्यादा परिवार की निजी समस्या का तर्क देने के साथ ही शादी होने के लिए पास होना जरूरी बताते हुए विद्यार्थियों ने अच्छे नंबर देने की गुहार लगाई है। हालांकि शिक्षकों द्वारा कॉपी में छात्र द्वारा प्रश्नों का का सही उत्तर लिखने पर ही नंबर दिए जा रहे है।
किसी का परिजन की बीमारी, किसी का शादी का बहाना
कक्षा 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कई विद्यार्थियों ने परीक्षा के दौरान माता-पिता और परिजन की बीमारी का तर्क दे रखा है। कुछ विद्यार्थियों ने खुद बीमार होने की बात लिखी है। कुछ विद्यार्थियों ने कठिन पेपर आने की वजह, किसी ने परिवार में गमी और कुछ विद्यार्थियों ने पास होने के बाद शादी होने की बात बताकर शिक्षकों से अच्छे नंबर देने की गुहार लगाई है।
इस तरह के नोट्स से कोई फर्क नहीं पड़ता
कॉपियां चैक करने वाले शिक्षकों ने बताया कि इस प्रकार के नोट्स से उन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। विद्यार्थियों ने जितना और जैसा लिखा है, उसी हिसाब से ही नंबर दिए जा रहे हैं।
45 हजार कॉपियां हो चुकीं चेक
माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से शिंदे की छावनी कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को मूल्यांकन केंद्र बनाया गया है। यहां सीसीटीवी कैमरे सहित कड़ी सुरक्षा में 500 से अधिक शिक्षकों द्वार कॉपियों का मूल्यांकन किया जा रहा है। यहां एक लाख से अधिक कॉपियां आ चुकी हैं, इनमें से 45 हजार कॉपियों चेक हो चुकी हैं।