( टीकमगढ़ संवाददाता तुषित सीरोटिया )
- 6 सालों में अगरबत्ती बेचने वाला विजय श्रोत्रिय बना 100 करोड़ का आसामी
टीकमगढ़।गरीब आदिवासियों की बेसकीमती जमीन को कौडिय़ों के दाम खरीद-फरोख्त के खेल का बड़ा खुलासा हुआ है। कमिश्नर और कलेक्टर से विक्रय की अनुमति लेकर 30 एकड़ जमीनों के वारे-न्यारे कर दिए गए हैं, जबकि ये जमीनें आदिवासियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए दी गई थी। लेकिन टीकमगढ़ में भूमाफिया विजय श्रोत्रिय ने कल्ला आदिवासी की तखा गांव स्थित ज़मीन को एक करोड़ आठ लाख में खरीदा है। जिसका खसरा नंबर 238/3/3 रकवा 2.023 है। शासन को गुमराह कर मुख्य मार्ग से भूमि को पीछे तरफ बताकर शासकीय कीमत को कम करा लिया गया। इस पूरे मामले में पटवारी चंद्रभान समारी पर रिकॉर्ड में हेरफेर कर गलत रिपोर्ट लगाने का आरोप लगा है। मामले की शिकायत टीकमगढ़ कलेक्टर सहित रजिस्ट्रार से की गई है। शिकायतकर्ता अजय वर्मा का कहना है कि कल्ला आदिवासी ने ठेकदार अंशुल खरे के कहने से यह जमीन भू माफिया विजय श्रोत्रिय को बेची है। जमीन बेचकर जो रुपए मिले उसका उपयोग कौन कर रहा है यह जांच का विषय है। क्योंकि कल्ला आदिवासी ने पहले भी 30 एकड़ जमीन ठेकेदार अंशुल खरे को बेची जा चुकी हैं। जिसकी कीमत करोड़ों में है। लेकिन अगर कल्ला आदिवासी का रहनसहन देखा जाए तो वह आज भी गरीबी में दिन गुजार रहा है। भूमाफिया अंशुल खरे और विजय श्रोत्रिय ने मिलकर कल्ला आदिवासी और सुरेश आदिवासी के नाम से गरीब आदिवादियों की जमीनें खरीदी और बाद में कलेक्टर या कमिश्नर से विक्रय की अनुमति लेकर, कौड़ियों के दामों में खरीदी गई जमीनों को करोड़ों रुपए में बेचा गया है। यहां तक बताया जाता है कि कल्ला आदिवासी को बताए बिना उसके नाम से क्रेशर संचालन के लिए खदान भी स्वीकृत करा दी गई थी l
6 साल में शून्य से शिखर तक पहुंचा भू माफिया
भू माफिया विजय श्रोत्रिय 6 साल पहले दुकान दुकान जाकर अगरबत्ती बेचा करता था, लेकिन अवैध कामों से आज उसने 100 करोड़ से अधिक संपत्ति अर्जित कर ली है। शहर के आसपास अधिकांश बेशकीमती जमीनो का मालिक विजय श्रोत्रिय बना बैठा है। उत्तमपुरा में खसरा नंबर 39/1/1 रकवा 1.471, उत्तमपुरा खसरा नंबर 88/1/1 रकवा 0.404, उत्तमपूरा खसरा नंबर 67/15 रकवा 0.800 , उत्तमपुरा खसरा नंबर 75/4 रकवा 0.674 की जमीनें विजय श्रोत्रिय के नाम से है ।वही इसके नाबालिक हरिओम श्रोत्रिय को भी करोड़ों की ज़मीन का स्वामी बना दिया,जिसका खसरा नंबर 74/4 रकवा 0.337 है। इसके अलावा डुमरऊ मोटा, तखा, कंवरपुरा, आलमपुरा, टीकमगढ़ खास, टीकमगढ़ किला हल्का समेत अन्य जगहों पर लगभग 40 एकड़ जमीन का बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया है।
ऐसे हुआ बेची गई जमीन का भुगतान
27 मार्च 2025 को कल्ला आदिवासी पुत्र बिहारी आदिवासी निवासी लक्ष्मणपुरा विजय श्रोत्रिय को ग्राम तखा स्थित ज़मीन जिसका रकवा 2.023 है उसे बेचता है। शासन की गाइड लाइन के अनुसार कल्ला को 1 करोड़ 8 लाख 56 हजार 895 रुपए कल्ला आदिवासी को दिए जाने थे। इस राशि का अधिकांश भुगतान चैक से किया गया था , जिसके चैक क्रमांक क्रमशः 000215,000212,000213,000209,000211,000199,000210,000216,000208,000217 हैं ।
अधिकारियों का भी है इन जमीनों में इन्वेस्ट
जमीनों के इस अवैध कारोबार में टीकमगढ़ के कुछ स्थानीय अधिकारियों की काली कमाई का भी इन्वेस्ट है। साथ ही कांग्रेस नेता का बेशुमार पैसा इस धंधे में लगा है। अंशुल खरे और विजय श्रोत्रिय मिलकर गरीब किसानों को अपना शिकार बनाते है। राजनैतिक संबंधों के चलते इसका कारोबार दिनों दिन फलफूल रहा है।
नामांतरण पर रोक लगाने की मांग
डुमरऊ भाटा निवासी श्रीमति कस्तूरी यादव ने तहसीलदार को आवेदन सौंप कर उक्त भूमि का नामांतरण नहीं किए जाने की मांग की है। शिकायतकर्ता का कहना है कि ग्राम तखा की खसरा नंबर 238/3/3 पूर्व में मनसुका तनय सूका अहीर के नाम से दर्ज थी। किसी ने फर्जी तरीके से गनपता तनय हीरा सौर का नाम अंकित करा दिया। बाद में वर्ष 2015 में सूक्कन सौर के नाम पर रजिस्ट्री करा दी गई। बाद में षडयंत्र के तहत फर्जी नामांतरण भरवाकर कल्ला आदिवासी के नाम रजिस्ट्री करा ली गई। जबकि शिबू, लक्खू सौर का फौती नामांतरण एस डी एम ने खारिज कर दिया था। कुछ समय बाद तत्कालीन कलेक्टर ने जमीन को विक्रय करने की स्वीकृति निरस्त कर दी। लेकिन भू माफिया ने कमिश्नर के यहां से बिना किसी को बताए बिना उक्त भूमि को बेचने की अनुमति दे दी जो कि गैरकानूनी है। इस लिए हमने नामांतरण पर रोक लगाने की बात कही है