नई दिल्ली. इस बार चुभती जलती गर्मी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. देश के अधिकांश हिस्सों का तापमान 43 डिग्री से भी ज्यादा तक जा पहुंचा है. लू के ऐसे थपेड़ें चल रहे हैं कि लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में हर किसी को इस बात का इंतजार है कि आखिर मॉनसूनी बदरा कब पहुंचेंगे. वैसे तो 29 मई को ही केरल में इस बार मॉनसून ने दस्तक दे दी है लेकिन देश के अन्य हिस्सों में मॉनसून का कोई अता-पता नहीं है. इन सबके बीच भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने एक अच्छी खबर दी है. आईएमडी ने रायटर्स न्यूज एजेंसी को बताया है कि 15 जून से देश के मध्य और उत्तर के मैदानी इलाकों में मॉनसूनी बदरा के रफ्तार पकड़ने के संकेत हैं.
15 जून से मॉनसून में तेजी आने के संकेत
आईएमडी के डीजी मृत्युंजय मोहापात्रा ने बताया कि हमारे पूर्वानुमानों के मुताबिक 15 जून से मॉनसून में तेजी आने के संकेत है. ये बारिश देश की खरीफ फसल धान, मक्का, सोयाबीन, गन्ना, मूंगफली और कपास के लिए बेहत फायदेमंद साबित होगी. मोहापात्रा ने बताया कि इस साल आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, दक्षिणी बंगाल, मेघालय, सिक्किम और कर्नाटक के कुछ इलाकों में अत्यधिक वर्षा हो रही है. ताजा पूर्वानुमानों के मुताबिक अरब सागर के ऊपर पश्चिमी विक्षोभ के कारण दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप में अगले पांच दिनों तक बारिश के साथ-साथ आंधी-तूफान और बिजली गिरने की भी आशंका है.
2700 अरब डॉलर की कृषि अर्थव्यवस्था मॉनसून पर निर्भर
इस साल केरल में अपने समय से दो दिन पहले ही 29 मई को मॉनसून ने दस्तक दे दी थी लेकिन 2 जून तक मॉनसूनी बारिश 42 प्रतिशत तक कम रही. आईएमडी के मुताबिक अगर पूरे मॉनसूनी सीजन में 50 साल के औसत के आधार पर 87 सेंटीमीटर बारिश के लिए 96 से 104 प्रतिशत के बीच बारिश हो, तो इसे सामान्य या औसत वर्षा माना जाता है. भारत में कुल वर्षा का 70 प्रतिशत वर्षा मॉनसूनी सीजन में ही होता है. इसी वर्षा पर भारत की 2.7 ट्रिलियन डॉलर (2700 अरब डॉलर) की कृषि अर्थव्यवस्था निर्भर है.
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FIRST PUBLISHED : June 09, 2022, 05:00 IST