नई दिल्ली. केंद्रीय चुनाव आयोग ने गुरुवार को भारत के राष्ट्रपति (President of India) पद के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है. इसके मुताबिक 15 जून को चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी. इसमें नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून और मतदान 18 जुलाई को होगा. इसके नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे. इस प्रकार 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice of India) नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाएंगे. भारत में राष्ट्रपति पद के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन होता है. भारत में राष्ट्रपति का चुनाव जनता सीधे नहीं करती, बल्कि जनता के वोट से चुने गए प्रतिनिधि करते हैं. इसके संसद के नामित सदस्य और विधान परिषदों के सदस्य हिस्सा नहीं लेते क्योंकि ये जनता द्वारा सीधे नहीं चुने जाते हैं.
उम्मीदवार के लिए जरूरी है पद के अनुरूप योग्य होना
राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए कई योग्यताएं होना जरूरी होता है. अनुच्छेद 58 के तहत, एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद का चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य रूप भारत का नागरिक होना चाहिए, 35 वर्ष की आयु पूरी करनी चाहिए, लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए. इसके साथ ही भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी उक्त सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं किया होना चाहिए. हालांकि, उम्मीदवार किसी भी राज्य के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्यपाल या संघ या किसी राज्य के मंत्रियों का पद धारण कर सकता है और चुनाव लड़ने के लिए पात्र होगा.
उम्मीदवार को अपना नामांकन दाखिल करना होता है
योग्यता के बाद दूसरा चरण है नामांकन. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपना नामांकन दाखिल करना होता है. इसके लिए 15000 रुपये से अधिक जमा करने होते हैं और 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की एक हस्ताक्षर की हुई सूची जमा करनी होती है. प्रस्तावक और समर्थक राष्ट्रपति चुनाव 2022 में मतदान करने के योग्य निर्वाचकों में से कोई भी हो सकता है. हालांकि नियम के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने योग्य व्यक्ति केवल एक ही उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव या समर्थन कर सकता है.
सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र
राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए मतदान अलग-अलग स्थानों पर होता है. सभी निर्वाचित विधायक अपने-अपने राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में मतदान करते हैं. सभी निर्वाचित सांसद राज्यसभा और लोकसभा में वोट करते हैं. वोट डालने के लिए निर्वाचित सांसदों और निर्वाचित विधायकों को मतपत्र दिए जाते हैं. सांसदों को हरे रंग और विधायकों को गुलाबी रंग का मतपत्र दिया जाता है. उन्हें विशेष पेन भी दिए जाते हैं, जिसका उपयोग वे अपने वोट रिकॉर्ड करने के लिए करते हैं.
चुनाव आयोग के खास पेन का है बड़ा महत्व
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मतपत्र पर सभी उम्मीदवारों के नाम होते हैं और वोटर अपनी वरीयता को 1 या 2 अंक के रूप में उम्मीदवार के नाम के सामने लिखकर वोट देता है. ये अंक लिखने के लिए चुनाव आयोग पेन उपलब्ध कराता है. यदि यह अंक किसी अन्य पेन से लिख दिए जाएं तो वह वोट अमान्य हो जाता है. वोटर चाहे तो केवल पहली वरीयता ही अंकित कर सकता है, सभी उम्मीदवारों को वरीयता देना जरूरी नहीं होता है.
उम्मीदवार की ट्रे में जाते हैं वोट
विधायकों के मतपत्रों को राज्यवार इकट्ठा कर उसे वरीयता पाने वाले उम्मीदवार की ट्रे में उसे डाल दिया जाता है. बीते चुनाव की बात करें तो जब किसी विधायक ने रामनाथ कोविंद को अपनी पहली वरीयता के रूप में चिह्नित किया था तो उसका वोट उम्मीदवार रहे कोविंद की ट्रे में भेजा गया था. इसी प्रकार सांसदों के मतपत्रों को संबंधित उम्मीदवार की ट्रे में भेजा जाता है.
सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग
राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है. दो अलग-अलग राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग-अलग होता है. वेटेज के लिए राज्य की आबादी मुख्य मानक होता है. इसके बाद राज्य की जनसंख्या को चुने हुए विधायक की संख्या से बांटा जाता है और फिर उसे 1000 से भाग दिया जाता है. इसके बाद जो अंक मिलता है, वह उस राज्य के वोट का वेटेज होता है.
सबसे अधिक मत नहीं, निश्चित कोटे से अधिक वोट पाना जरूरी
इस चुनाव में सबसे अधिक वोट प्राप्त करने से नहीं बल्कि एक निश्चित कोटे से अधिक मत पाने वाले को विजेता माना जाता है. प्रत्येक उम्मीदवार के लिए डाले गए वोटों को जोड़कर, फिर योग को 2 से भाग देते हैं और भागफल में 1 जोड़कर कोटा तय किया जाता है. इस कोटे से अधिक वोट नहीं मिलते तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को हटा देते हैं और हटाए गए उम्मीदवारों के मतपत्र उन वोटों में दूसरी वरीयता पसंद के आधार पर बाकी उम्मीदवारों के बीच वितरित किए जाते हैं. प्रत्येक उम्मीदवार के लिए कुल मतों की गिनती की प्रक्रिया फिर दोहराई जाती है ताकि यह देखा जा सके कि कोई तय कोटा से ऊपर मत पा सका है या नहीं. ऐसा करते हुए जब किसी का वोट कोटा से अधिक पहुंच जाता है तब प्रक्रिया जारी रखते हैं. इसके अलावा लगातार निष्कासन के बाद जब एक उम्मीदवार बचे तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है.
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Tags: Election, President of India
FIRST PUBLISHED : June 09, 2022, 19:17 IST