रिपोर्ट- अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ. यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज के मुख्य चौराहे पर स्थित इंडियन कॉफी हाउस को शहर की धड़कन कहा जाता था. ‘शाम-ए-अवध’ हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी. गौरवशाली इतिहास की यादों को संजोय हुए इस कॉफी हाउस की स्थापना 1938 में हुई थी. इसकी दीवारें पल-पल की बदलती सियासी तस्वीरों की गवाही आज भी देती हैं. यह कॉफी हाउस बुद्धिजीवियों, कवियों, लेखकों, सामाजिक-कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और कलाकारों के बीच उस दौर में काफी चर्चित हुआ करता था. यहां पर बुद्धिजीवी कॉफी की चुस्की के साथ गंभीर मुद्दों पर गर्मा-गर्म बहस किया करते थे. हालांकि अब यह कॉफी हाउस अपनी पहचान खो रहा है.
भारतीय कॉफी हाउस की कॉफी की चुस्कियां जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राम मनोहर लोहिया, फिरोज गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, आचार्य नरेंद्र देव, वीर बहादुर सिंह, अमृत लाल नागर, इंदिरा गांधी, लालजी टंडन और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी लिया करते थे. इनके अलावा जनेश्वर मिश्र, राज नारायण, पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज, पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, नारायण दत्त तिवारी जैसी हस्तियों से गुलजार रहता था. इसके अलावा साथ ही साहित्यकार अमृतलाल नागर, यशपाल, मजाज लखनवी, पूर्व नगर प्रमुख डॉ.पीडी कपूर, मदन मोहन सिद्धू भी यहां की शोभा बढ़ाते थे. वहीं, वीर बहादुर सिंह, मुलायम सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी जी तो यहां अक्सर आया करते थे. मकड़ी के जालों से घिरी छत और लकड़ी की टूटी कुर्सियां उस दौर में कॉफी हाउस की पहचान हुआ करती थी.
चार रुपये की होती थी कॉफी
कलाकार अनिल रस्तोगी ने बताया कि उस वक्त इस कॉफी हाउस की एक कॉफी 4 रुपये हुआ करती थी, जो अब 50 रुपये हो गई है. एक कॉफी लेकर लोग सुबह से लेकर शाम तक बैठे रहते थे. उन्होंने बताया, ‘जब युवा थे तो यहां पर आकर देखते थे कि कौन-कौन बड़ी हस्ती दिग्गज लोग बैठे हुए हैं. अब उन्हें कॉफी हाउस की बुरी दशा देखकर दुख होता है.’ वह उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक्त में एक बार फिर यह इंडियन कॉफी हाउस अपनी खोई हुई पहचान को हासिल कर गुलजार होगा.
छात्र नेताओं का भी था अड्डा
सोशलिस्ट ओंकार सिंह बताते हैं कि बीते दौर की बात है जब किसी छात्र को लखनऊ विश्वविद्यालय में एडमिशन लेना होता था तो वे कॉफी हाउस छात्र नेताओं की मदद के लिए आते थे, क्योंकि ज्यादातर छात्र नेता यहां बैठा करते थे. साथ ही लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्र संघ चुनाव की पूरी रणनीति का खाका यही से तय होता था.
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने जब रोका था हंगामा
इतिहासकार रवी भट्ट बताते हैं कि इस कॉफी हाउस में उत्तर प्रदेश से लेकर के देश तक के सभी दिग्गज नेता, मंत्री ,साहित्यकार उपन्यासकार, लेखक आते थे. वरिष्ठ पत्रकारों की तो यह पसंदीदा जगह हुआ करती थी. वे बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने बाहर एक बयान दिया था लेकिन शाम को जब आ कॉफी हाउस में आए तो चंद्रशेखर के जो सहयोगी थे वह सुब्रमण्यम स्वामी का विरोध करना चाह रहे थे, लेकिन चंद्रशेखर ने उन्हें यह कहते हुए रोक दिया था कि कॉपी हाउस का अपना एक कल्चर है और उसे हमें बनाए रखना चाहिए.
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Tags: Atal Bihari Vajpayee, Lucknow news
FIRST PUBLISHED : June 24, 2022, 12:18 IST