लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिली करारी हार के बाद पार्टी में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सपा में अखिलेश यादव के ख़िलाफ़ बगावत के सुर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. शिवपाल यादव और आज़म खान की नाराज़गी अभी कम भी नहीं हुई कि अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद कुंवर रेवती रमण सिंह भी अखिलेश यादव से नाराज़ बताए जा रहे हैं. रेवती रमण और अखिलेश के बीच मनमुटाव की ख़बर पहले भी सामने आई थी, लेकिन अपनी जगह पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजे जाने के बाद रेवती रमण के खेमे ने अब खुलकर अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.
कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजे जाने के फैसले के ख़िलाफ़ रेवती रमण के शहर प्रयागराज में पार्टी के पुराने नेता और कई बार के पार्षद रहे विजय वैश्य ने अब खुलकर बगावत कर दी है. उन्होंने महानगर उपाध्यक्ष का पद छोड़ते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को भेज दिया है.
रेवती रमन के करीबी ने अखिलेश पर लगाए आरोप
रेवती रमण के बेहद करीबी माने जाने वाले विजय वैश्य का आरोप है कि अखिलेश यादव ने कुंवर रेवती रमण का पत्ता काटकर कपिल सिब्बल को सिर्फ इसलिए राज्यसभा भेजा है, ताकि सीबीआई और ईडी के शिकंजे में फंसने के बाद वह उन्हें जेल जाने से बचा सकें. विजय वैश्य के मुताबिक़ पार्टी को इस वक़्त रेवती रमण जैसे पुराने और जनाधार वाले नेता की ज़रूरत है, न कि किसी वकील की. कपिल सिब्बल को सिर्फ इसलिए राज्यसभा भेजा गया, क्योंकि वह वरिष्ठ वकील हैं और अखिलेश को खुद पर शिकंजा कसे जाने का डर सता रहा है.
विजय वैश्य ने दावा किया है कि उन्होंने रेवती रमण से पूछने के बाद ही पार्टी से इस्तीफ़ा दिया है. उनका यह भी दावा है कि आने वाले दिनों में तमाम दूसरे नेता भी अखिलेश यादव के नेतृत्व को लेकर पार्टी छोड़ेंगे और खुद रेवती रमण भी जुलाई महीने में बड़ा फैसला ले सकते हैं.
सपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की नाराज़गी का दिया हवाला
सियासी गलियारों में हो रही चर्चा को लेकर रेवती रमण ने अभी औपचारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन उनका कहना है कि तमाम कार्यकर्ता व समर्थक हाल में हुए फैसलों से दुखी भी हैं और हैरान भी. कार्यकर्ता ही उनकी ताकत हैं, ऐसे में वह कार्यकर्ताओं व समर्थकों के मन की बात ज़रूर सुनना चाहेंगे.
ऐसे में माना जा रहा है कि अगर जल्द ही बात नहीं बनी तो रेवती रमण अपने समर्थकों के साथ कोई नया सियासी ठिकाना तलाश सकते हैं. रेवती रमण सिंह आठ बार के विधायक, दो बार लोकसभा के सांसद और वर्तमान में राज्यसभा के सांसद हैं. वर्ष 2004 में उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी को हराया था.
विजय वैश्य के साथ ही उनके तमाम समर्थकों ने भी सपा छोड़ी है. पार्टी छोड़ने वाले नेता विजय वैश्य का कहना है कि रेवती रमण जिसकी दल में जाएंगे हम उनके साथ रहेंगे. उन्होंने दावा किया है कि रेवती रमण सिंह के समर्थन में सैकड़ों पार्टी नेताओं ने अब तक पार्टी छोड़ी है.
समाजवादी पार्टी में जिस तरह की बगावत देखने को मिल रही है. इससे ऐसा लग रहा है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व पर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का विश्वास कम हो रहा है और उनकी पार्टी पर पकड़ भी लगातार ढीली पड़ती जा रही है.
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FIRST PUBLISHED : June 08, 2022, 14:59 IST