भूतड़ी अमावस्या पर देवास जिले के नेमावर में नर्मदा तट पर हजारों की संख्या में जुटते हैं श्रद्दालु, रात भर चलता है तंत्र-मंत्र का खेल.
एन टीवी टाइम प्रतिनिधि/देवास: जिला मुख्यालय से करीब 150 KM की दूर मोक्षदायिनी नर्मदा नदी के किनारे जिले के अंतिम छोर पर बसा है नेमावर. यहां प्रतिवर्ष भूतड़ी अमावस्या पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. यहां लोग रात भर हथियारों के साथ तंत्र-मंत्र और साधना करते नजर आते हैं. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनके ऊपर बुरी आई शक्तियों का नाश होता है. दुःख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है. वहीं कई मानसिक बीमारी से पीड़ित लोग भी यहां पहुंचते हैं.
नर्मदा के तट पर पूरी रात चलता है तंत्र-मंत्र का दौर, मिलता है बुरी आत्माओं से छुटकारा
श्रद्धालुओं का मानना है कि सिद्ध स्थान होने के कारण बाहरी बाधाओं या बुरी आत्माओं से पीड़ित लोगों को उनसे छुटकारा मिलता है. बीमार अपने अपने परिजनों के साथ यहां आते हैं और पूरी रात नर्मदा के तट पर तंत्र-मंत्र का दौर शुरू होता है. पड़ियार(पंडित) झूमते-नाचते-गाते इन श्रद्दालुओं पर से इन बुरी शक्तियों को काबू पाने की जद्दोजहद करते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या पर नकारात्मक शक्तियां बेहद सक्रिय हो जाती है. चंद्रमा के रहने से इसके प्रभाव से मन की स्थिति भी अस्थिर हो जाती है. जिससे ये शक्तियां प्रभावी हो सकती हैं. भूतड़ी अमावस्या इन नकारात्मक शक्तियों से बचाव और आत्मिक शांति दिलाने वाली मानी जाती है. इस दिन पूजा पाठ और कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सकारात्मकता ऊर्जा का संचार होता है.
पूजा-पाठ और कर्मकांड के बाद शरीर को छोड़ देती हैं बुरी आत्माएं
भूतड़ी अमावस्या के दिन ये शक्तियां अपना विकराल रूप ले लेती हैं. पड़ियार पीड़ित को बैठाकर विधि-विधान से पूजा पाठ, तंत्र-मंत्र द्वारा बुरी शक्तियों को जाने के लिए कहते हैं. पीड़ित के शरीर को छोड़ने के लिए वे शर्ते रखती हैं. पूजा-पाठ और कर्मकांड के बाद वे शरीर को छोड़ देती हैं.
श्रद्धालुओं का मानना है कि इस पूजा के बाद से शक्ति पीड़ित के शरीर व आत्मा को भविष्य में परेशान नहीं करेंगी. वर्षों से ये मान्यता चली आ रही है. श्रद्धालु पैदल नर्मदा किनारे अमावस्या की रात यहां पहुंचते हैं. इस दौरान यहां जगह-जगह सैकड़ों भंडारे, भोजन और प्रसाद का वितरण किया जाता है.
चाक-चौबंद रही सुरक्षा-व्यवस्था, एक हजार पुलिसकर्मी तैनात
इसको लेकर प्रशासन का अमला चाक चौबंद रहता है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर इस बार यहां एक हजार से अधिक पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है. साथ ही जिला प्रशासन के 300 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी व्यवस्था के लिए यहां तैनात हैं.