- पुलिस ने मृतक के परिजनों की शिकायत पर संबंधित ट्रक ड्राइवर और मालिक के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना के बाद जिला न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था। प्रधान जिला न्यायाधीश ने मृतक की पत्नी को 90 लाख 28 हजार रुपए, मृतक के माता-पिता व पुत्री को 10-10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि देने के आदेश दिए हैं।…मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर।
सड़क हादसे में रेलवे कर्मचारी की मौत के मामले में कोर्ट ने मृतक के परिजनों को एक करोड़ 20 लाख 28 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति(Death Compensation) दिए जाने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई करते हुए प्रधान जिला न्यायाधीश मनोज कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट ने एक्सीडेंट करने वाले ट्रक मालिक अब्दुल वहीद, ट्रक ड्राइवर संदीप ककोडिया और श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एमपी नगर भोपाल को क्षतिपूर्ति दिए जाने के आदेश दिए हैं। मृतक के परिजनों की ओर से एडवोकेट आरके हिंगोरानी और सनी हिंगोरानी द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के बाद प्रधान जिला न्यायाधीश ने यह आदेश पारित किए हैं।
एडवोकेट हिंगोरानी ने बताया कि लालघाटी कोहेफिजा निवासी राजकुमार सिसोदिया रेलवे कर्मचारी थे। उन्होंने बताया कि 23 दिसंबर 2022 को कार से मुलताई जा रहे थे। इस दौरान खेमा ढाबा के पास हाइवे पर रात 12 बजे ट्रक ड्राइवर ने लापरवाही पूर्वक ट्रक चलाते हुए अचानक ब्रेक लगा दिए, जिससे कार पीछे से ट्रक से टकरा गई थी। जिससे राजकुमार सिसोदिया की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। पुलिस ने मृतक के परिजनों की शिकायत पर संबंधित ट्रक ड्राइवर और मालिक के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना के बाद जिला न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था। प्रधान जिला न्यायाधीश ने मृतक की पत्नी को 90 लाख 28 हजार रुपए, मृतक के माता-पिता व पुत्री को 10-10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि देने के आदेश दिए हैं।
केस 1 : मृत कारपेंटर, घायल को 50 लाख का देने का आदेश
22 अक्टूबर 2019 को ग्राम मालीखेड़ी निवासी कारपेंटर हरीनारायण विश्वकर्मा और उसका साथी लखन विश्वकर्मा घर से बाइक से निकला था। दोनों को भानपुर के पास तेज रतार डंपर ने टक्कर मार दी थी, जिसमें हरीनारायण की मौत हो गई थी। लखन गंभीर रूप से घायल हो गया था। मामले में अपर जिला न्यायाधीश अजय नील करोठीया ने दुर्घटना के लिए डंपर चालक को दोषी पाया। साथ ही डंपर की बीमा कंपनी रायल सुंदरम इंश्योरेंस कंपनी को ब्याज सहित 50 लाख रुपए (Death Compensation)जमा करने के आदेश दिए हैं।
केस 2 : परिजन को दिलाया 68 लाख 56 हजार का हर्जाना
सड़क दुर्घटना के मामले में भोपाल जिला कोर्ट ने आदेश सुनाया है। भागचंद साहू कार से सागर की ओर जा रहे थे। इस दौरान सामने से आ रही बस ने उनकी कार को तेजी से टक्कर मार दी। इलाज के दौरान भागचंद की मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के बाद परिजनों ने बस मालिक से हर्जाने की मांग की थी। हर्जाना नहीं देने पर परिजनों ने कोर्ट में केस लगाया था। जिला न्यायालय के न्यायाधीश अतुल सक्सेना ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, बस चालक और मालिक को मृतक के परिजनों को 68 लाख 56 हजार का हर्जाना देने का आदेश दिया है।
केस 3 : अफसर की मौत के 7 साल बाद बेटों को 1 करोड़ का क्लेम
जिला कोर्ट की विशेष अदालत ने सड़क दुर्घटना में मारे गए आईएएस अफसर टी धर्माराव के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा(Death Compensation) दिए जाने के आदेश दिए हैं। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण की पीठासीन अधिकारी कविता वर्मा ने यह आदेश दिए हैं। मप्र के तीन अफसर टी धर्माराव, अशोक अवस्थी और शिवेंद्र सिंह दंपत्ति वर्ष 2013 को लेह घूमने गए थे। इस दौरान सड़क दुर्घटना में धर्माराव, उनकी पत्नी विद्या राव और शिवेंद्र सिंह की पत्नी कुमुद सिंह की मौत हो गई थी। अशोक अवस्थी, उनकी पत्नी मंजरी अवस्थी तथा शिवेंद्र सिंह घायल हुए थे। कार चालक की भी मौत हो गई थी।
पीठासीन अधिकारी कविता वर्मा ने धर्माराव की दुर्घटना में मौत के मामले में उनके दोनों बेटों को एक करोड़ रुपए की मुआवजा राशि दिए जाने के आदेश दिए। गंभीर रूप से घायल मंजरी अवस्थी को 8 लाख 81 हजार और मृतिका कुमुद सिंह के परिजनों को 5 लाख 57 हजार, दुर्घटना में मारी गई विद्या राव के लिए 6 लाख 80 हजार दिए जाने के आदेश दिए हैं। दुर्घटना में घायल शिवेंद्र सिंह और अशोक अवस्थी को 20- 20 हजार रुपए का मुआवजा दिए जाने के आदेश दिए हैं।
सड़क दुर्घटना पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सड़क दुर्घटनाओं(Road Accident) में हर साल करीब पांच लाख लोग मौत या घायल होते हैं। हादसों के बाद मुआवजे(Death Compensation) के लिए बड़ी संया में दावे मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल(एमएसीटी) में दायर किए जाते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सड़क दुर्घटना मुआवजा सीधे पीड़ितों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाए।बीमा कंपनियां अब (डीबीटी) डिजिटल तरीके से भुगतान करेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल को निर्देश दिया है कि वे पीड़ितों के बैंक खाते की जानकारी लें। आमतौर पर बीमा कंपनियां मुआवजे की राशि पहले ट्रिब्यूनल में जमा करती हैं, इससे पीड़ितों तक पैसा पहुंचने में काफी समय लगता है। कई बार पीड़ितों को यह जानकारी भी नहीं होती कि उनके लिए कोई मुआवजा जमा हुआ है। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल ट्रांसफर (डीबीटी) का तरीका अपनाने के निर्देश दिए हैं।