- इलाहाबाद हाई के जस्टिस मनोहर नारायण मिश्र की एकलपीठ के फैसले की चर्चा देशभर में हो रही है। अब राज्यसभा सदस्य और पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा कहा है कि फैसले के खिलाफ महिला आयोग को सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए।

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले पर देशभर में चर्चा हो रही है। साथ ही लोगों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। इस फैसले में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने दुष्कर्म की एक याचिका पर सुनवाई करते कहा था कि वक्ष स्पर्श करना और वस्त्र का नाड़ा खोलना दुष्कर्म नहीं है।
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने इसे दुष्कर्म न मानते हुए ‘गंभीर यौन उत्पीड़न’ माना। अब इस फैसले और जज की टिप्पणी पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं।
राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अभी प्रतिक्रिया दी है। रेखा शर्मा ने कहा है कि यह गलत है और राष्ट्रीय महिला आयोग को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए रेखा शर्मा ने आगे कहा- अगर न्यायाधीश संवेदनशील नहीं हैं, तो महिलाएं और बच्चे क्या करेंगे? उन्हें इस कृत्य के पीछे की मंशा को देखना चाहिए। यह पूरी तरह से गलत है और मैं इसके खिलाफ हूं।

नए सिर से समन जारी करने के आदेश
यह मामला कासगंज जिले का है। आकाश, पवन व अशोक पर आरोप हैं कि उन्होंने 11 वर्षीय पीड़िता के वक्ष पकड़े, उसका नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों के हस्तक्षेप के कारण उसे छोड़ कर मौके से भाग निकले।
पुलिस ने पास्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया था और कार्रवाई की थी। साथ ही पटियाली थाने में आईपीसी की धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया था। हालांकि, हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि दुष्कर्म के आरोप में जारी समन विधिसम्मत नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में दुष्कर्म का अपराध नहीं बनाते हैं। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 354-बी आईपीसी (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के मामूली आरोप के साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।