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देवास का अनोखा गांव: यहां 400 सैनिक भाइयों का इंतजार करती हैं बहनें, देश के अलग-अलग हिस्सों में दे रहे हैं सेवाएं

(नारायण शर्मा)

हर रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें नम आंखों से राखी की थाली सजाकर अपने भाई का इंतजार करती हैं. हालांकि सीमा पर सेवाएं देने के चलते उन्हें रक्षाबंधन के पर्व पर छुट्टी नहीं मिलती हैं, जिसके चलते वो अपनी बहनों के पास नहीं पहुंच पाते हैं.

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के असीम प्रेम का पर्व है. इस पवित्र पर्व पर बहन अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, लेकिन देवास के संवरसी गांव में कई बहनें अपने भाइयों को कई सालों से रक्षाबंधन पर राखी यानी रक्षा सूत्र बांधने के लिए इंतजार कर रही हैं. हालांकि कई बहनें अपने भाइयों को मोबाइल पर वीडियो कॉल कर तिलक लगाती है और राखी बांधती हैं.

कई वर्षों से बहनों को रक्षाबंधन पर अपने भाई का इंतजार

दरअसल, देवास शहर से 20 किलोमीटर दूर संवरसी गांव स्थित है. यहां की आबादी 4000 के करीब है. इस गांव के लगभग 400 सैनिक देश के लिए मर मिटने लिए फौज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ग्राम संवरसी में देश भक्ति का ऐसा जज्बा है कि इस गांव के हर घर से एक बेटा देश की सेवा में जुटा हुआ है, लेकिन इन सैनिकों की विडंबना यह है कि भाई बहन के पवित्र पर्व रक्षाबंधन के पावन अवसर पर अपने गृहग्राम आकर अपनी बहनों से कलाई पर रक्षा सूत्र नहीं बंधवा पा रहे हैं.

संवरसी गांव में 4000 की आबादी है, जिसमें से 400 सैनिक देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इस गांव के लोग देश सेवा की भावना से ओत-प्रोत हैं और अपने बच्चों को सैनिक बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

यह गांव टोंकखुर्द क्षेत्र में पड़ता है. जहां हर जवान की कहानी हमें देश सेवा की भावना और भाई-बहन के असीम प्रेम की याद दिलाती है. देश की सेवा से बढ़कर परिवार भी इनके लिए अहमियत नहीं रखता है.

राखी की थाली सजाकर अपने भाई का करती है इंतजार

हर रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें नम आंखों से राखी की थाली सजाकर अपने भाई का इंतजार करती हैं. फौजी भाइयों की बहनें जब गांव की दूसरी बहने को अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधते हुए देखती है तो उनका मन उदास हो जाता हैं, लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके भाई देश की रक्षा के लिए सीमा पर अपनी सेवा दे रहे हैं.

सीमा पर सेवाएं देने के चलते उन्हें रक्षाबंधन के पर्व पर छुट्टी नहीं मिलती हैं और अपनी बहनों के पास नहीं पहुंच पाते हैं. फौजी बहनें अपने भाइयों को मोबाइल पर वीडियो कॉल कर तिलक कर राखी बांधती है. इस दौरान भाइयों से बात करते हुए बहनों के आंखों से आंसू बह निकलते हैं. इन सैनिकों की बहने कई वर्षों से रक्षाबंधन का पर्व इसी तरह से मनाती आ रही हैं.

फौजी भाइयों की कहानियां

राजेंद्र फौजी: नागालैंड में अपनी सेवाएं दे रहे. राजेंद्र फौजी की बहन बुलबुल चौधरी 14 साल से उनके रक्षा बंधन पर इंतजार कर रही हैं. राजेंद्र फौज में 14 साल से हैं. राजेंद्र को 5 साल पहले उनकी बहन बुलबुल ने उनकी कलाई पर राखी बांधी थी. उन्हें गर्व है कि उनका भाई देश की सेवा में जुटा है.

सुमेर सिंह: सीआईएसफ में अपनी सेवाएं दे रहे सुमेर सिंह की बहन राजनंदनी लंबे समय से उनका इंतजार कर रही हैं. राजनंदनी बताती है कि उनका हर राखी पर बस वो इंतजार करती हैं, लेकिन उन्हें देश की सेवा करनी है. इसलिए अवकाश लेकर नहीं आ सकते.

अभिषेक चौधरी: अभिषेक चौधरी 6 साल से आर्मी में हैं और पश्चिम बंगाल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनकी बहन रानी चौधरी 6 साल से अपने भाई का रक्षा बंधन के लिए इंतजार कर रही हैं. रानी ने बताया कि भाई देश की सेवा में जुटे हैं. देश की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है.

रिटायर्ड फौजी कैलाश: संवरसी गांव के रिटायर्ड फौजी कैलाश बताते हैं कि यहां पर 4000 की आबादी वाले गांव में करीबन 400 सैनिक अपनी सेवाएं देश के अलग-अलग हिस्सों में दे रहे हैं और दे चुके हैं. वो बताते हैं कि मैं अपने गांव से निकलने वाला दूसरा सैनिक रहा हूं. वो कहते हैं कि आज भी अगर देश की सेवा के लिए बुलाया जाता है तो उसके लिए वह तैयार है.

नारायण शर्मा
एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।

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