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पीथमपुर : यूनियन कार्बाइड मामला सरकार ने HC में पेश की स्टेटस रिपोर्ट… पीथमपुर में 270 KG रोज के हिसाब से 72 दिन में जला देंगे पूरा कचरा

( संवाददाता प्रफुल्ल तंवर )

सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल सहित अन्य एजेंसियों की देखरेख में कचरा जलाने के ट्रायल रन को गति दी गई थी। यही प्रक्रिया आगे भी जारी रखी जाएगी।

जबलपुर। यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में जलाने को लेकर हाई कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने गुरुवार को अपनी स्टेटस रिपोर्ट पेश कर दी। इसमें ट्रायल रन सहित सभी नियम-कायदों का पालन करते हुए पूर्ण कर लिए जाने की जानकारी दी गई।

मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगल पीठ ने इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर ले लिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई 30 जून को नियत कर दी गई।

सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से साफ किया गया कि पीथमपुर में प्रतिदिन 270 किलोग्राम के हिसाब से यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने की सुविधा है। इस लिहाज से आगामी 72 दिनों में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड से परिवहन कर लाया गया संपूर्ण कचरा पीथमपुर में विशिष्टीकृत (जला) कर दिया जाएगा।

हस्तक्षेप आवेदनों पर विचार करेगी सरकार

सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप आवेदनकर्ताओं की ओर से भी तर्क रखे गए। एक ने कहा कि 300 मीट्रिक टन कचरा जलाए जाने पर नए सिरे से 900 मीट्रिक टन कचरा पीथमपुर में एकत्र हो जाएगा। सवाल उठता है कि फिर वह तीन गुना कचरा कहां और कैसे जलाएंगे।

एक ने सुझाव दिया कि पीथमपुर का नया कचरा भरूच के नो-मेंन लैंड में डंप करने की व्यवस्था दे दी जाए। हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप कर्ताओं को ये सभी सुझाव, दावे-आपत्ति आदि राज्य सरकार के समक्ष रखने स्वतंत्र कर दिया।

सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने रखा। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत सिंह रूपराह खड़े हुए।

हाई कोर्ट ने दिए थे ये निर्देश

हाई कोर्ट ने विगत सुनवाई के दौरान पूर्ण सुरक्षात्मक उपायों के साथ पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरा विनिष्टीकरण का ट्रायल रन शुरू करने के निर्देश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगल पीठ ने कहा था कि 27 फरवरी को पहले चरण में 10 मीट्रिक टन कचरा जलाया जाए।

इसके बाद चार मार्च को दूसरा और 10 मार्च को तीसरा ट्रायल रन करें। इसके बाद परिणाम का परीक्षण करें और शेष कचरे का विनिष्टीकरण जारी रखें। कोर्ट ने 27 मार्च को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।

सरकार पर लगे थे आरोप

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि परिणाम नकारात्मक आते हैं, तो सरकार कोर्ट आने के लिए स्वतंत्र है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा था कि हाई कोर्ट पूर्व आदेशाें में यूनियन कार्बाइड कचरा विनिष्टीकरण को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। इसके बावजूद राज्य शासन पालन नहीं कर रही है।

महाधिवक्ता ने स्पष्ट की थी स्थिति

  • महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने राज्य की ओर से साफ किया था कि हमने हाई कोर्ट के विगत निर्देश के पालन में जन जागृति लाने कई माध्यमों से प्रयास किए हैं। पर्चे वितरित किए, नुक्कड़ नाटक किए। नगर निगम व जिला प्रशासन के स्तर पर चर्चा-परिचर्चा के माध्यम से वाद-विवाद-संवाद का वातावरण तैयार किया।
  • इस प्रक्रिया में यह स्पष्ट करने का पूर्ण प्रयास किया कि हाई कोर्ट के निर्देश पर यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर तक परिवहन होकर पहुंच चुका है, जिसे वैज्ञानिक प्रविधि से जलाने से स्थानीय पर्यावरण आदि को कोई नुकसान नहीं होगा।
  • महाधिवक्ता ने बताया था कि 12 कंटेनरों में लाए गए 350 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को सुरक्षात्मक तरीके से साइट पर अनलोड कर दिया है। उन्होंने कहा था कि स्थानीय जनों के कई प्रतिनिधियों ने कलेक्टर धार को अभ्यावेदन पेश कर पहले ट्रायल रन करने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट में आवेदन की दी थी जानकारी

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस पर कोर्ट ने साफ कर दिया कि हम पूर्व निर्देश के पालन को लेकर सुनवाई कर रहे हैं। लिहाजा, राज्य शासन उसी पर फोकस करे। हमारा मकसद मामले को सुलझाना होना चाहिए न कि उलझाना।

नारायण शर्मा
एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।

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