
उत्तर प्रदेश के हाथीपुर निर्मल नगर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवेदन करने वाली एक महिला सीता को न केवल रिश्वत की मांग का सामना करना पड़ा, बल्कि उससे अमानवीय और शर्मनाक प्रस्ताव भी दिया गया।
जी हाँ, यह मामला तब सामने आया जब लाभार्थी महिला सीता ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन किया। जांच की जिम्मेदारी स्थानीय लेखपाल पंकज सिंह तोमर को दी गई। लेकिन आरोप है कि उन्होंने जांच प्रक्रिया के नाम पर सीता को अपने घर बुलाया और उससे ₹50,000 की रिश्वत मांगी।
जब सीता ने स्पष्ट किया कि वह इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थ है, तब लेखपाल ने सारी हदें पार करते हुए उससे यह कहा कि अगर पैसे नहीं हैं तो अपनी बेटी को एक रात के लिए उनके पास भेज दे। यह बयान न केवल भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा है, बल्कि महिला अस्मिता और मानवता के खिलाफ भी है।
“हमने सोचा था कि सरकार की योजनाएँ गरीबों के लिए हैं, लेकिन जब ऐसे अधिकारी बीच में आ जाते हैं तो गरीब इंसान बेबस हो जाता है।”
अब सवाल यह है कि क्या ऐसे भ्रष्ट और अमानवीय मानसिकता वाले अधिकारी समाज की सेवा के काबिल हैं? जनता की मांग है कि पंकज सिंह तोमर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बनी रहे और गरीब जनता का विश्वास कायम रह सके।