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लैलूंगा की कांग्रेस विधायक विद्यावती कुंज अपने ही कांग्रेस प्रत्याशी यशोमती सिंह सिदार के विरूद्ध खोला मोर्चा आखिर क्यूं ?

लैलूंगा की कांग्रेस विधायक विद्यावती कुंज अपने ही कांग्रेस प्रत्याशी यशोमती सिंह सिदार के विरूद्ध खोला मोर्चा आखिर क्यूं ?

लैलूंगा –रायगढ़ जिले के पंचायत चुनाव में लैलूंगा 02 के जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 14 में एक ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है, जहां लैलूंगा की मौजूदा विधायक विद्यावती कुंज बिहारी सिदार ने लैलूंगा के पूर्व विधायक चक्रधर सिंह सिदार की कुलवधु डीडीसी प्रत्याशी यशोमति सिंह सिदार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। विद्यावती और चक्रधर सिंह सिदार के परिवार पर सीधे राजनीतिक हमले के बाद क्षेत्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।

आप को बता दे कि 2015 में चक्रधर सिंह सिदार ने डीडीसी का पद संभाला और 2019 में उनकी बहू यशोमति सिंह सिदार ने कांग्रेस के समर्थन से लैलूंगा 02 से चुनाव जीतकर डीडीसी का पद हासिल किया। लेकिन इस बार कांग्रेस विधायक विद्यावती सिदार के कारण राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुकी हैं। विद्यावती ने न केवल यशोमति को कांग्रेस का समर्थन देने से मना किया, बल्कि हृदय राम सिदार को उनके खिलाफ डीडीसी का उम्मीदवार भी बना दिया और संगठन से उनका समर्थन मांगा।

हालांकि, पार्टी ने यह स्पष्ट किया कि यशोमति को कांग्रेस का समर्थन मिलने का पहला अधिकार है, फिर भी विद्यावती ने हृदय राम के पक्ष में कांग्रेस का समर्थन हासिल करने की नाकाम कोशिश जारी रखी। अंततः कांग्रेस आलाकमान ने यह निर्णय लिया कि इस बार क्षेत्र में कोई भी कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार नहीं होगा, जिससे स्थिति और जटिल हो गई। चूंकि सिटिंग डीडीसी होने के कारण यशोमति सिदार का चुनाव लड़ना तय था, उन्होंने छाता चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के ऐलान किया वहीं विद्यावती सिदार भी पीछे नहीं हटी और उन्होंने हृदय राम सिदार को उगता सूरज चुनाव चिन्ह चुनावी मैदान में उतार दिया।

विद्यावती सिदार की शत्रुता यहीं खत्म नहीं हुई, वे खुलकर हृदय राम के पक्ष में प्रचार कर रही हैं। इस राजनीतिक परिदृश्य को देखकर लोगों के बीच यह चर्चा हो रही है कि विद्यावती ने कांग्रेस की छवि को और भी प्रभावित किया है। उन्होंने कांग्रेस की लुटिया डूबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस के समर्थन का अभाव होने के कारण क्षेत्र में कोई विधायक या प्रदेश स्तरीय नेता प्रचार के लिए नहीं पहुंचा, लेकिन कांग्रेस विधायक विद्यावती सिदार ने न केवल हृदय राम के पक्ष में मोर्चा संभाल लिया है, बल्कि यशोमति को हराने के लिए पूरी ताकत लगा रही हैं।

सूत्रों की माने तो लैलूंगा में विधायक विद्यावती पूर्व विधायक चक्रधर से राजनीतिक शत्रुता निभा रही हैं। एक दशक से क्षेत्र में गोटिया और उनकी बहू यशोमति डीडीसी के पद पर कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर जीते थे, लेकिन इस बार क्षेत्र की विधायक होते हुए भी विद्यावती ने उनका अधिकार छीनकर गलत किया है। इस बीच, क्षेत्र में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि कांग्रेस विधायक विद्यावती सिदार भाजपा की बी टीम हैं। उनका निर्णय कांग्रेस पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है। कांग्रेस के भीतर की दरारें साफ तौर पर सामने आ रही हैं ।

लोगों का कहना है विद्यावती सिदार, जो जानती हैं कि यशोमति सिदार वीनिंग कैंडिडेट हैं और डीडीसी के रूप में उनका कार्य सराहनीय रहा है, फिर भी उनकी शत्रुता की राजनीति ने यशोमति को हराने के लिए सारी ताकत झोंक दी है। विधायक विद्यावती सिदार का यह राजनीतिक कदम क्षेत्र में गहरे आक्रोश का कारण बन गया है। उनके इस रुख से यशोमति सिदार के प्रति लोगों की संवेदनाएँ बढ़ी हैं, वहीं विद्यावती की व्यक्तिगत छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है, और उनकी बढ़ती नाराजगी को लेकर क्षेत्र में चर्चा हो रही है।

संगठन पूरे मामले को जानते हुए भी सो रही है ऐसा क्यूं ?

पूर्व में कांग्रेस सरकार आपसी गुट बाजी के कारण सत्ता विहीन हो गई थी ऐसा क्यूं ?

नगरीय निकायों के चुनावों में भी गुटबाजी देखने को मिली जिसके फल स्वरूप हार का सामना करना पड़ा ऐसा क्यूं ?

ऐसा प्रतीक हो रहा है कि पंचायत चुनाव में भी आपसी गुट बाजी से सुपड़ा साफ नजर आ रहा है ?

कांग्रेस प्रदेश संगठन एवं जिला कांग्रेसी संगठन लगता है कुंभ करण की नींद सो गई है।

इसी गुट बाजी के कारण पूरे प्रदेश में कांग्रेस की कुछ अच्छी छबि जनता के बीच नहीं जा रही है लगता है प्रदेश चुनावो हारने के बाद इस पतित हो रहा है कि संगठन गुट बाजी को हवा देने में लगी है ये सब जानते हुए संगठन चुप हैं ऐसा क्यूं ?

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