नई दिल्ली: दीपक तिवारी
1 अप्रैल से भारत में टेलीविज़न चैनलों का प्रसारण बाधित हो सकता है, जिससे दर्शकों को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे बड़े आयोजन देखने में दिक्कत आ सकती है। इसका कारण विदेशी सैटेलाइट्स को भारतीय अंतरिक्ष प्राधिकरण IN-SPACe से आवश्यक मंज़ूरी न मिल पाना है।
सरकार ने हाल ही में एक नया नियम लागू किया है, जिसके अनुसार 31 मार्च 2025 तक केवल उन्हीं विदेशी सैटेलाइट्स को भारत में प्रसारण सेवाएं देने की अनुमति होगी, जिन्हें IN-SPACe से स्वीकृति मिल चुकी होगी। यह नियम केवल ब्रॉडकास्टिंग और लीनियर टीवी पर लागू होगा, जबकि ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट स्ट्रीमिंग जारी रहेगी।
100 से अधिक चैनलों पर खतरा
इस नए नियम से Sony, Star और Zee जैसे बड़े नेटवर्क्स के 100 से अधिक चैनलों का प्रसारण प्रभावित हो सकता है। कुछ विदेशी सैटेलाइट्स जैसे Intelsat, OneWeb, IPStar, OrbitConnect और Inmarsat को मंज़ूरी मिल चुकी है, लेकिन Asiasat, ApStar, Chinasat और Measat जैसे अन्य ऑपरेटर्स अभी भी अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
टेलीविज़न ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री को उम्मीद है कि या तो सभी विदेशी सैटेलाइट्स को समय पर मंज़ूरी मिल जाएगी या फिर सरकार कुछ समय के लिए इस नियम में छूट दे सकती है ताकि चैनलों का प्रसारण प्रभावित न हो।
क्या हैं प्रमुख अड़चनें?
इस मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कई विदेशी सैटेलाइट ऑपरेटर्स ने हाल ही में आवेदन किए हैं, जिनकी स्वीकृति प्रक्रिया में आमतौर पर 120 दिन का समय लगता है। कुछ आवेदन सितंबर 2024 से ही लंबित हैं, जिन पर अभी निर्णय नहीं हुआ है।
इसके अलावा, कुछ विदेशी सैटेलाइट कंपनियों के चीन से जुड़े होने की वजह से सुरक्षा चिंताएं भी बनी हुई हैं। सरकार इस मामले में सतर्कता बरत रही है और सभी पहलुओं की बारीकी से जांच कर रही है, जिसमें संबंधित कंपनियों की शेयरहोल्डिंग, स्वामित्व संरचना और सुरक्षा मापदंडों का आकलन किया जा रहा है।
समाधान क्या हो सकता है?
अनुमोदन की प्रक्रिया तेज़ की जाए: सरकार की ओर से IN-SPACe को निर्देश दिए जाएं कि लंबित मामलों की जल्द समीक्षा कर मंज़ूरी दी जाए।
अस्थायी विस्तार: ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों को 6 महीने की छूट दी जाए, जिससे वे सितंबर 2025 तक विदेशी सैटेलाइट्स से जुड़े अपने समझौतों को पूरा कर सकें।
भारतीय सैटेलाइट का उपयोग: हालांकि, इस समय भारतीय सैटेलाइट GSAT के पास पर्याप्त क्षमता नहीं है, लेकिन भविष्य में इस दिशा में निवेश बढ़ाने की ज़रूरत है।
क्या हो सकता है असर?
अगर विदेशी सैटेलाइट्स को समय पर मंज़ूरी नहीं मिली, तो टीवी चैनलों का प्रसारण बाधित हो सकता है। ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अल्पावधि में चैनलों को किसी अन्य सैटेलाइट पर शिफ्ट करना संभव नहीं होगा, क्योंकि यह लंबी और महंगी प्रक्रिया है।