लोकेश शर्मा
आज देवरी ईको सेंटर से लाए गए घड़ियाल शावकों को मुरैना जिले अंतर्गत ‘राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य’ में ‘Grow and Release’ कार्यक्रम के तहत उनके ‘नये प्राकृतिक घर’ चंबल नदी में छोड़ा गया। साथ ही अभयारण्य की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया और पर्यटन सुविधाओं का निरीक्षण कर नौकायन का आनंद भी लिया। चंबल नदी में घड़ियाल और मगरमच्छ की बढ़ती संख्या एवं अनेकों डॉल्फिन की अठखेलियां प्रमाण है कि मध्यप्रदेश में ‘वन्यजीव संरक्षण अभियान’ सफल हो रहा है। देश में सर्वाधिक घड़ियालों का बसेरा ‘अपना मध्यप्रदेश’ वन्य एवं जलीय जीव पर्यटन को एक नया आयाम देने एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।