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KHANDWA : मां ने मोबाइल यूज करने पर डांटा तो घर छोड़कर भागी 10वीं की छात्रा, क्लासमेट के साथ ट्रेन में बिना टिकट पकड़ी गई

लोकेश शर्मा

मध्य प्रदेश के खंडवा जिला स्थित बाल कल्याण समिति के सामने दो नाबालिगों के घर से भागने का अनोखा मामला सामने आया है। जिसमें दोनों ही कक्षा दसवीं के सहपाठी हैं। मामले में छात्रा मम्मी की डांट से नाराज होकर घर से दूर करीब 12 किलोमीटर पैदल आ गई। जिसके बाद सहपाठी छात्र को फोन कर बुलाती है और दोनों ही बगैर टिकट ट्रेन में अनजान मंजिल की तरफ निकल पड़ते हैं। हालांकि ट्रेन में गश्त कर रही आरपीएफ की सजगता से दोनों ही छात्रों को खंडवा स्टेशन पर उतारकर बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जाता है। जिसके बाद उनकी काउंसलिंग करने पर दोनों ही को अपने किए पर पछतावा होकर शर्मिंदगी का एहसास होता है। इसके बाद रीवा से उनके परिजनों को बुलाया गया और रीवा पुलिस के सामने दोनों छात्रों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। वहीं बाल कल्याण समिति के अनुसार परीक्षाओं के दौरान भी सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से जुड़ा यह मामला नया नहीं है। बल्कि बीते दो माह में ऐसे करीब 18 मामले अकेले खंडवा में ही सामने आए हैं। जहां समिति के द्वारा नाबालिगों की काउंसलिंग कर उन्हें उनके परिजन के सुपुर्द किया गया है।

मम्मी की डांट से नाराज होकर घर छोड़ पैदल चली 12 किलोमीटर

वहीं इस मामले में खंडवा बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रवीण कुमार शर्मा ने बताया कि, रेलवे पुलिस ने दो नाबालिग बच्चों को समिति के सामने पेश किया था। समिति ने जब उनकी काउंसलिंग की, तो मालूम चला कि दोनों ही बच्चे कक्षा दसवीं के हैं। दोनों साथ में पढ़ते हैं। जिनमें से 15 वर्षीय बालिका परीक्षा का समय होने के बावजूद घर में मोबाइल चलाने में व्यस्त थी। जिस पर उसकी मम्मी ने उसे मोबाइल इस्तेमाल करने को लेकर डांटा था। मम्मी की डांट से नाराज होकर बालिका घर से अकेली निकल गई और करीब 12 किलोमीटर पैदल चलती रही।

दोनों बच्चे बगैर टिकट बैठ गए ट्रेन में

समिति अध्यक्ष ने बताया कि इसके बाद छात्रा ने अपनी क्लास के ही एक साथी 17 वर्षीय बालक को फोन कर बुलाया और वहां से दोनों ही रेलवे स्टेशन पहुंच गए। जहां उनके पास पैसे की कमी के चलते बगैर टिकट ही वे लोग ट्रेन में बैठ गए। हालांकि उन्हें मालूम भी नहीं था के जाना कहां है। इधर ट्रेन में सफर के दौरान रेलवे पुलिस ने दोनों ही बच्चों को अकेला पाकर उनसे पूछताछ की और उन्हें खंडवा स्टेशन पर उतारकर रविवार को बाल कल्याण समिति के सामने पेश कर दिया। जिसके बाद उनके माता-पिता से संपर्क किया गया और आज विधिवत कार्रवाई पूरी कर दोनों ही बच्चों को रीवा पुलिस और उनके परिजन को सौंपा जा रहा है ।

सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल का नतीजा

वहीं समिति के अध्यक्ष शर्मा ने बताया कि अभी समाज में जो इस प्रकार की स्थितियां चल रही हैं, यह सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल का दुष्परिणाम सामने आ रहा है। बच्चे अभी परीक्षा के समय में भी मोबाइल चला रहे हैं। जो उनके भविष्य और आगे के करियर के लिए नुकसानदेह है। इसलिए यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि, जब बच्चे परिवार के साथ रहते हैं, तो माता-पिता उनके साथ समन्वय स्थापित करें। उनसे बातचीत करते रहें। उनके साथ घुले मिले और दिन में कम से कम एक समय का भोजन उनके साथ ही करें। जिससे उनके मन के अंदर की परेशानियां दूर हो सके।

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