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RATLAM : मध्‍य प्रदेश के इस घर में अचानक गिरते हैं पत्‍थर, लग जाती है आग, कपड़े और नोट जले, टिफिन उड़कर गिरा

मध्‍य प्रदेश के रतलाम जिले से एक चौंकाने वाली खबर है। यहां एक किसान के घर कुछ महीनों से अजीब घटनाएं हो रही हैं। कभी अचानक आग लग जाती है तो कभी घर का सामान उड़कर बाहर चला जाता है। यह सब घर में रहने वालों का दावा है। अभी इसकी सही वजह किसी को नहीं पता है।

रतलाम जिले की आलोट तहसील मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित ग्राम जलोदिया में किसान व पूर्व सरपंच भगवाना सिंह कछावा के घर पिछले दो माह से अजीबोगरीब घटनाएं हो रही है। कई बार उनके घर में अचानक पत्थर गिरने, कपड़ों व सामान में आग लगने व घर में रखा सामान उड़कर गिरने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। घटनाएं रहस्यमयी बनी हुई हैं। किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि घटनाएं क्यों हो रही हैं।

किसान भगवान सिंह कछावा ने बताया कि वे उक्त मकान में करीब 13 वर्ष से रह रहे हैं। करीब दो माह से उनके घर में छत के ऊपर से छोटे-बडे पत्थर गिरने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। पत्थर गिरने से परिवार के लोग चोटिल भी हुए हैं। यही नहीं घर व बाडे में रखा समान पानी से भरी केन, बर्तन आदि उड़कर दूर जाकर गिर जाते हैं। इस प्रतिनिधि ने बुधवार दोपहर उक्त गांव के मकान पर पहुंचकर पीडित परिवार से मुलाकात की तथा वस्तुस्थिति जानने-समझने का प्रयास किया। वे घर के अंदर थे तभी पलंग पेटी पर रखा रोटी से भरा टिफिन अचानक कुछ ऊपर उड़ा। जमीन पर जाकर गिर गया। नीचे गिरने से उसमें रखी रोटियां भी जमीन पर बिखर गई।

भानेज की कुर्ती में अचानक आग लगी

भगवान सिंह कछावा ने बताया कि करीब छह दिन से प्रतिदिन घर में रखे कपड़ों में अपने-आप आग लग रही है, जिससे अधिकांश बिस्तर, नये-पुराने कपडे़ तथा अलमारी में रखे 50 हजार रुपए रुपये भी जल चुके हैं।

तीन दिन पहले उनकी भानेज सुनीता बाडे में खड़ी थी, तभी उसकी पहन रखी कुर्ती में अचानक आग लग गई। पास में खड़े अन्य स्वजन ने तत्काल दौड़कर आग बुझाकर उसे बचाया।

खिडकी, दरवाजे के पर्दे और गेंहू से भरे प्लास्टिक के कट्टों तक मे आग लग चुकी है।

इन घटनाओं से हम सब हैरान-परेशान हैं।

घटनाएं दिन में ही होती है तथा हमेशा ध्यान रखते हैं कि कहीं आग न लग जाए। आग लगने पर तत्काल बुझाने में जुट जाते हैं।

सुंदरकांड, हवन भी कराया

गांव के चेनसिंह कछावा व लालसिंह कछावा ने बताया कि हम तो क्या कई लोगों ने घर की स्थिति को देखा तथा घटनाओं को समझने का प्रयास किया।

बुजुर्ग भी कहते हैं कि इस तरह की घटना गांव में पहली बार देखने-सुनने को मिल रही हैं।

भगवानसिंह कछावा ने बताया कि लोग घटनाओं के पीछे अलग-अलग मत प्रकट करते हैं।

और कहते हैं ऐसा करो, वैसा करो, कहकर लौट जाते हैं।

हमने घर में सुंदरकांड, दुर्गापाठ, हवन सहित विभिन्न टोने-टोटके भी कराए हैं।

लेकिन इसके बाद भी घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है तथा समझ में नही आ रहा है कि क्या करें।

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