Saturday, March 15, 2025

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SAGAR : शर्मनाक! अस्पताल में बीमार मां से चुराकर ढाई महीने की बच्ची का धर्म बदला, नाम फातिमा लिखवाया

मध्‍यप्रदेश के सागर में धर्म परिवर्तन का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अस्पताल दस्तावेजों में उसने बच्ची का नाम फातिमा और माता-पिता की जगह गुना के शनीचरी निवासी अपने नि:संतान रिश्तेदार हिना बानो और अब्दुल रशीद का नाम दर्ज करा दिया। अस्पताल ने बिना कोई पड़ताल किए एडाप्टेड लिखकर दस्तावेजों में इसे अंकित भी कर लिया।

मध्यप्रदेश के सागर के जिला अस्पताल में भर्ती बेसहारा महिला से उसकी ढाई महीने की बेटी को अवैध रूप से दत्तक रूप में ग्रहण कर उसकी धार्मिक पहचान बदल दी गई। ऐसा करने वाले मुस्लिम परिवार ने अस्पताल के दस्तावेजों में भी बच्ची का नाम बदलवा दिया और माता-पिता की जगह खुद का नाम लिखवा दिया। सरकारी अस्पताल प्रबंधन ने एडाप्टेड लिखकर दस्तावेजों में इसे दर्ज भी कर लिया। इसकी जानकारी होने पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सोमवार को सागर पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है।

पुलिस के अनुसार चार फरवरी को सागर रेलवे स्टेशन पर गुना के डोंगरखेड़ी निवासी विमला धाकड़ नाम की महिला बीमार हालत में मिली थी।

उसके साथ उसका पांच साल का बेटा और ढाई महीने की बेटी थी। 108 एंबुलेंस ने महिला और उसके दोनों बच्चों को जिला अस्पताल पहुंचा दिया। वहां महिला वार्ड में उसे भर्ती कर लिया गया।

महिला वार्ड में ही भर्ती शबाना बी पति मकबूल ने विमला से बच्ची को अपने संरक्षण में ले लिया। उसने 10 फरवरी को जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में उसे भर्ती कराया।

16 फरवरी को बच्ची की असली मां विमला धाकड़, अपने पांच वर्षीय बेटे के साथ अस्पताल से चली गई। उसी दिन वह बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में भर्ती हुई और 17 फरवरी को उसकी मौत हो गई।

अस्पताल से सूचना मिलने पर विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजीपीयू) ने पांच साल के बालक को बाल कल्याण समिति के आदेश पर एक बाल आश्रम में रखवा दिया।

19 फरवरी को जिला बाल कल्याण समिति को जानकारी मिली कि विमला धाकड़ के पास एक बच्ची भी थी।

जब समिति सदस्यों ने विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजीपीयू) से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें बच्ची के संबंध में कोई जानकारी नहीं है।

विमला का एक ही बालक था, जिसे आश्रम भेज दिया है। समिति द्वारा एसजीपीयू को निर्देशित किया गया कि बच्ची की जानकारी जुटाकर समिति को अवगत कराएं।

इसके बाद जब एसजीपीयू जिला अस्पताल पहुंची जहां पाया कि समिति को मिली जानकारी सही है और विमला की ढाई माह की एक बालिका अभी एक मुस्लिम परिवार के संरक्षण में है।

सदस्यों ने किया अस्पताल का दौरा

बालिका के संबंध में जानकारी मिलने के बाद बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया, जहां बच्ची के भर्ती संबंधी दस्तावेज जांचे।

उन्होंने पाया कि बच्ची का नाम तथा उसके माता-पिता का नाम परिवर्तित कर उसे भर्ती कराया गया है एवं बच्ची के भर्ती दस्तावेजों में एडाप्टेड भी लिखा है।

बच्ची का नाम आरती धाकड़ है। उसकी माता का नाम विमला धाकड़ और पिता का नाम दिलीप धाकड़ है।

आश्रम में भर्ती बालक से ली जानकारी

बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने पांच साल के बच्चे से भी बात की। उसने बताया कि उसकी एक छोटी बहन भी है जो अस्पताल में एक आंटी द्वारा ली गई थी और भर्ती है। बच्चे ने यह भी बताया कि जब उसे अस्पताल से आश्रम लाया जा रहा था तब उसने अपनी बहन के भर्ती होने की बात पुलिस कर्मियों को बताई थी।

क्या कहते हैं अधिकारी

महिला को 108 से ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला की मौत के बाद उसकी बच्ची को बगल में भर्ती दूसरे परिवार ने उसका नाम बदलकर अपने पास रख लिया है। इसकी शिकायत गोपालगंज थाने में की गई है।-ज्योति तिवारी, पुलिस विशेष किशोर इकाई

बच्ची को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। भर्ती कराने वालों ने बच्ची का जो नाम बताया, उसे लिख दिया गया। इस मामले की पुलिस जांच कर रही है। भर्ती करने वाला जो नाम बताता है, उसे ही माना जाता है। -आरएस जयंत, सिविल सर्जन, सागर

मृत महिला की ढाई माह की बच्ची को दूसरे धर्म के परिवार ने न केवल ले लिया अपितु बच्ची का दूसरे धर्म के अनुरूप नाम से दस्तावेज भी बनवा लिए। इसकी जानकारी मिलने के बाद पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर पूरी प्रक्रिया का जांच प्रतिवेदन मांगा गया है। -ओंकार सिंह, सदस्य, मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भोपाल

क्या कहता है कानून

किसी भी अस्पताल को यह अधिकार प्राप्त नहीं कि वह बिना न्यायालयीन प्रक्रिया को अपनाए किसी बच्चे को किसी भी परिवार को गोद दे दे। यदि कोई अस्पताल ऐसा करता है तो उसके विरुद्ध कोई भी एनजीओ या संस्था या व्यक्ति संबंधित थाने मे आपराधिक मामला दर्ज करा सकता है। जब तक बच्चा नाबालिग है, तब तक उसका धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता। जब वह वयस्क हो जाएगा तो वह स्वयं तय करेगा कि उसे किस धर्म को चुनना है।

अमरपाल सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता, भोपाल

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