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कुर्सी पर बैठकर ईरान की तबाही देख रही थी ट्रंप टीम, सामने आईं तस्वीरें

व्हाइट हाउस ने रविवार को कुछ तस्वीरें जारी की हैं जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और वरिष्ठ सलाहकार सिचुएशन रूम में मौजूद दिख रहे हैं। कुर्सी पर बैठकर ट्रंप की टीम ईरान की तबाही देख रही थी। ये तस्वीरें तब सामने आईं जब अमेरिकी सेना ने ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान पर हवाई हमले किए। इन तस्वीरों को ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद और मौजूदा स्थिति पर राष्ट्रपति ट्रंप के राष्ट्रीय संबोधन के दौरान साझा किया गया।

इजरायल के सैन्य अभियान में अमेरिका भी शामिल

कई दिनों के विचार-विमर्श के बाद और स्वयं द्वारा निर्धारित दो सप्ताह की समय-सीमा से काफ़ी पहले ट्रंप द्वारा अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी ईरान के विरुद्ध इजरायल के सैन्य अभियान में शामिल होने का निर्णय क्षेत्रीय संघर्ष में एक बड़ी वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब इजरायल और ईरान के बीच एक सप्ताह से घातक झड़पें जारी हैं। इजरायल का कहना है कि वह ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोक रहा है जबकि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बता रहा है। इस लड़ाई को रोकने के कूटनीतिक प्रयास अब तक विफल रहे हैं।

अमेरिकी हमलों का विवरण

अमेरिका ने बताया कि इस ऑपरेशन में छह बंकर-बस्टर बमों ने भारी सुरक्षा वाले फोर्डो स्थल को निशाना बनाया जबकि 30 टॉमहॉक मिसाइलों ने अन्य ठिकानों पर हमला किया। इन हमलों में बी-2 बमवर्षक विमानों का इस्तेमाल किया गया। यह दिखाता है कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के लिए अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया है।

ट्रंप की चेतावनी: ‘शांति या त्रासदी’ चुनें ईरान

अपने संक्षिप्त राष्ट्रीय संबोधन में राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा कि उसे “शांति या त्रासदी” में से एक चुनना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि तेहरान अपनी गतिविधियों से पीछे नहीं हटा तो और अधिक ठिकानों पर हमला किया जा सकता है।

के अनुसार अमेरिका ने ईरान को संदेश भेजा है कि वह फिलहाल और अधिक हमले करने की योजना नहीं बना रहा है और उसका शासन परिवर्तन का कोई लक्ष्य नहीं है। यह बयान तनाव को कम करने का एक प्रयास हो सकता है।

नेतन्याहू ने सराहा, अमेरिकी सांसदों में दिखी दरार

ट्रंप के संबोधन से कुछ क्षण पहले इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी एक सार्वजनिक संदेश साझा किया जिसमें उन्होंने ट्रंप के इस महत्वपूर्ण फैसले की प्रशंसा की।

अमेरिका में भी इस कदम पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ सांसदों ने इस कदम का समर्थन किया जबकि अन्य डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ने इसे असंवैधानिक बताते हुए आलोचना की या गंभीर परिणामों की चेतावनी दी। यह दिखाता है कि इस सैन्य कार्रवाई को लेकर अमेरिकी राजनीति में भी मतभेद हैं।

यह हमला मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को और बढ़ा सकता है जिससे भविष्य में बड़े क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका बढ़ गई है।

नारायण शर्मा
एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।

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