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नगर गौरव दिवस की चकाचौंध में लुटा नगर पालिका का खजाना, आज दंश झेल रहे सफाई कर्मचारी

नगर गौरव दिवस की चकाचौंध में लुटा नगर पालिका का खजाना, आज दंश झेल रहे सफाई कर्मचारी
— सवालों के घेरे में तत्कालीन जिला प्रशासन की भूमिका

Ntv time news जबलपुर संभाग ब्यूरो चीफ विमल चौबे

नगर गौरव दिवस के नाम पर मई 2022 में नगर पालिका नरसिंहपुर के खजाने से जिस तरह बेतहाशा खर्च किया गया, उसका खामियाजा आज नगर के सफाई कर्मचारी और आम नागरिक भुगत रहे हैं। उस समय जिले के कलेक्टर एवं नगर पालिका प्रशासक रहे रोहित सिंह की अगुवाई में हुए भव्य आयोजनों ने प्रशासनिक दिखावे की नई इबारत तो लिखी, लेकिन नगर की बुनियादी व्यवस्थाओं को भीतर से खोखला कर दिया।

मई 2022 में आयोजित नगर गौरव दिवस में शहर के विभिन्न वर्गों की भागीदारी दिखाई गई। तत्कालीन कलेक्टर रोहित सिंह ने नरसिंह मंदिर और नरसिंह तालाब को नगर का गौरव बताते हुए स्वयं “ग्राउंड पर उतरकर” कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। तालाब की सफाई, नहर से नर्मदा जल का तालाब में मिलान, तालाब की आरती, बीच तालाब में फव्वारा, पतंग उत्सव, नगर रैली और नागपुर के प्रसिद्ध बैंड ‘शिव गर्जना’ को बुलाने जैसे दर्जनों आयोजन किए गए।

लेकिन इन आयोजनों की कीमत सीधे-सीधे नगर पालिका के खजाने से वसूली गई। उस समय नगर पालिका प्रशासक होने के नाते रोहित सिंह के एक इशारे पर पूरा जिला प्रशासन सक्रिय था। झाड़ू हाथ में लेकर फोटो खिंचवाने वाला प्रशासन, खर्च की जवाबदेही तय करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ।

RTI ने खोली पोल
आरटीआई कार्यकर्ता एवं पत्रकार ताराचंद पटेल द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दस्तावेजों के अनुसार, नगर गौरव दिवस के नाम पर करीब 70 से 72 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जो सीधे नगर पालिका के खाते से हुआ। यह रकम उस नगर पालिका की थी, जिसकी आज हालत यह है कि सफाई कर्मचारियों के वेतन, संसाधन और मूलभूत सुविधाएं तक संकट में हैं।

ना तालाब बदला, ना शहर का भाग्य

जिस नरसिंह तालाब के “कायाकल्प” का सपना दिखाया गया था, उसकी तस्वीर आज भी लगभग वैसी ही है। न तो स्थायी रूप से तालाब का सुधार हुआ और न ही शहर की बुनियादी समस्याएं खत्म हुईं। उल्टा, इसी दौर में गरीबों के मकान तोड़े गए, जिनका आज तक मुआवजा नहीं मिला।

आज का सच: बदहाल सफाई कर्मचारी
आज नगर पालिका की वित्तीय हालत इतनी खराब है कि सफाई कर्मचारी वेतन, उपकरण और सम्मान के लिए जूझ रहे हैं। सवाल यह है कि जिस प्रशासन ने एक आयोजन पर लाखों रुपये फूंक दिए, वही प्रशासन आज कर्मचारियों की बदहाली पर मौन क्यों है
जिम्मेदारी किसकी
स्पष्ट है कि नगर पालिका की वर्तमान बदहाली किसी एक दिन की देन नहीं है। नगर का खजाना लुटाकर चले गए तत्कालीन प्रशासक और उस समय का जिला प्रशासन इसकी नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। नगर गौरव दिवस के नाम पर हुआ यह खर्च आज नगर के गरीब कर्मचारियों और नागरिकों के लिए “नगर अपमान दिवस” बन चुका है।

अब सवाल यह है कि
क्या इन खर्चों की निष्पक्ष जांच होगी
क्या जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी?

फिलहाल वर्तमान में सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं और आज उनको ब्लॉक कांग्रेस का समर्थन भी मिला है सफाई कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से शहर की गलियों और सड़कों पर कचरे का अंबार लगा हुआ है

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