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प्रशासन को क्यों कराना पड़ा नक्सली लीडर बसवराजू का अंतिम संस्कार? ये है असली नजह

  • छत्तीसगढ़ प्रशासन ने नक्सली नेता बसवराजू का अंतिम संस्कार कराया क्योंकि उनके परिवार के सदस्य या दावेदार शव को लेने नहीं आए और न ही वे कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत कर पाए.

    छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में मुठभेड़ में मारे गए प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बसवराजू ( Naxal leader Basavaraju) समेत आठ नक्सलियों के शवों का अंतिम संस्कार सोमवार को पुलिस सुरक्षा के बीच प्रशासन ने कराया. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अंतिम संस्कार नारायणपुर में किया गया. इस बीच सवाल उठता है कि आखिर क्यों प्रशासन को नक्सली लीडर का अंतिम संस्कार कराना पड़ा.

    बता दें कि नक्सलियों पर सबसे बड़े हमलों में से एक में सुरक्षाबलों ने 21 मई को बीजापुर-नारायणपुर जिले की सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के जंगल में मुठभेड़ के दौरान प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बसवराजू और 26 अन्य नक्सलियों को मार गिराया था. अभियान के दौरान राज्य पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दो जवानों की भी जान गई थी.

    बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि 21 मई को हुई मुठभेड़ के बाद कुल 27 नक्सलियों के शव बरामद किए गए, जिनमें कुख्यात माओवादी कैडर बसवराजू का शव भी शामिल था. सुंदरराज ने बताया कि कुल 19 नक्सलियों के शव वैधानिक प्रक्रिया और दस्तावेजों के सत्यापन के बाद उनके पात्र दावेदारों को सुपुर्द कर दिए गए.

    क्या बोली पुलिस?

    इस बीच, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में दो व्यक्तियों द्वारा कुख्यात माओवादी बसवराजू और नवीन के शवों के संबंध में याचिकाएं दायर की गई थीं. उन्होंने कहा कि 24 मई को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे शवों के दावे के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस के सक्षम अधिकारी से संपर्क करें तथा उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पुलिस को शव सुपुर्द करने का कोई आदेश नहीं दिया, बल्कि केवल याचिकाकर्ताओं को संबंधित पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने का निर्देश दिया.

    पुलिस अधिकारी ने कहा, ”कुल पांच दावेदार समूह (जिसमें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले दो समूह भी शामिल हैं) नारायणपुर पहुंचे, लेकिन वे मृत माओवादी कैडरों से अपने संबंध को साबित करने के लिए कोई वैध या संतोषजनक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए. वे शवों को आंध्र प्रदेश/तेलंगाना ले जाने के दावे के समर्थन में भी कोई कानूनी दस्तावेज नहीं दिखा सके.”

    उन्होंने कहा, ”एक अन्य मृत माओवादी कोसी उर्फ हुंगी के परिजनों ने 26 मई को नारायणपुर पहुंचकर उचित दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिसके बाद शव उन्हें सौंप दिया गया. हालांकि, शव के लंबी दूरी तक ले जाने से संक्रमण फैलने की आशंका के चलते कोसी के परिजनों ने नारायणपुर में ही अंतिम संस्कार की अनुमति मांगी, जिसे स्थानीय प्रशासन ने मानते हुए अंतिम संस्कार सुनिश्चित किया.”

    सुंदरराज के मुताबिक, बाकी दो शवों के लिए कोई भी दावेदार सामने नहीं आया और इस प्रकार, कुल आठ नक्सलियों के शवों का 26 मई को नारायणपुर में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए स्थानीय प्रशासन द्वारा अंतिम संस्कार किया गया.

    ‘उनके अपने ही परिचितों ने त्याग दिया…’

    अधिकारी ने कहा, ”प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि कुख्यात और निर्दयी माओवादी कैडर बसवराजू और उसके साथियों को उनके अपने ही परिचितों ने त्याग दिया. दूसरी ओर, राज्य ने इन सात नक्सल शवों का अंतिम संस्कार संपूर्ण मानवीय गरिमा और विधिक प्रक्रिया के तहत कराया.”

    सुंदरराज ने कहा कि माओवादी संगठन और उनके समर्थकों द्वारा अपने सरगना और अन्य नक्सलियों का आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भव्य अंतिम संस्कार कर महिमामंडन करने की साजिश को सतर्क पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने कानूनी रूप से और कुशलता से विफल कर दिया.

    पुलिस पर लगे ये आरोप

    नक्सली नेता बसवराजू के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उसका शव उन्हें सौंपने से इनकार कर दिया और परिवार के सदस्यों ने शव सौंपने का निर्देश देने के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था ताकि वे अंतिम संस्कार कर सकें. मुठभेड़ में मारे गए एक अन्य नक्सली के परिजनों ने भी इसी याचिका के साथ आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

    आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने 24 मई को दोनों याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता शवों को अपने कब्जे में लेने के लिए छत्तीसगढ़ के संबंधित पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं. छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को यह भी सूचित किया था कि पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद शवों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा.

    खुद को नक्सली नेता बसवराजू का भतीजा बताने वाले नंबाला जनार्दन राव ने नारायणपुर में ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा कि उन्हें स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि वह शव नहीं ले जा सकते और नारायणपुर में ही उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

    राव ने कहा, ”हम अपने चाचा नंबाला केशव राव का शव लेने यहां आए थे. पुलिस ने कल (रविवार को) तक कुछ नहीं कहा. उन्होंने (पुलिस ने) हमारे नाम लिखे और कल चले गए. सुबह अस्पताल में कोई नहीं था, हम आज सुबह एसपी ऑफिस गए. इसके बाद दोपहर एक बजे एक व्यक्ति हमारे पास आया और हमें अपने साथ चलने को कहा। हम उसके पीछे गए और फिर उसने हमारा आधार कार्ड नंबर लिख लिया.”

    उनके मुताबिक, “इसके बाद उसने कहा कि हम शव की खराब स्थिति के कारण शव नहीं ले जा सकते और यहीं (नारायणपुर) अंतिम संस्कार करने को कहा. हमें शव देखने नहीं दिया गया.”

    नारायणपुर में सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने संवाददाताओं से कहा कि पुलिस ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और बसवराजू तथा अन्य लोगों का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया. भाटिया ने कहा कि ऐसे कई फैसले हैं जिनमें कहा गया है कि शव को सम्मान का अधिकार है और परिवार के सदस्यों को भी अंतिम संस्कार करने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 और कई अंतरराष्ट्रीय कानूनों में है.

    नारायण शर्मा
    एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।

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