25 दिसम्बर, जन्म जयंती-
बहुआयामी व्यक्तिव एवं कृतित्व के धनी- अटलजी, अटल थे-
25 दिसम्बर, 1924 को जन्मे एक साधारण परिवार के अटलजी पिता पंडित कृष्ण बिहारी बाजपेयी ग्वालियर रियासत में सर्विस करते हुए बस गए। अटलजी को भारत के प्रधानमंत्री पद पर तीन बार रहने के साथ ही भारत रत्न प्राप्त करने का सौभाग्य मिला। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी अपने आदर्श, ओजस्वी, वाणी, साहित्यिक विरासत, एवं व्यवहार कुशलता से जीवन भर देश के नागरिकों का भरपूर स्नेह एवं सम्मान प्राप्त करने वाले 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे। 13 अक्टू ,1999 को उन्होंने दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के पद को संभाला।
विद्वता, देश प्रेम, भाषाईज्ञान, और समय की नब्ज को पकड़ने की कला उन्हें सबसे अलग बनाती है। वे स्पष्ट वक्ता थे-वे माँ सरस्वती के ऐसे ज्ञानी पुत्र थे, जो कि वाकपटुता के धनी धाराप्रवाह बोलने की क्षमता रखने वाले एक कुशल ओजस्वी वक्ता थे। उनके जीवन का हर क्षण शरीर का एक-एक कण माँ भारती व भारतीय समाज के हितों के कार्य के लिए समर्पित था। वे आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता थे, उन्होंने देश को एक नई दिशा देकर देश के नागरिकों की दशा बदलने में
सकारात्मक बदलाव किए थे।
वे 12 वीं लोक सभा के 12 वें प्रधानमंत्री थे। अटलजी ने कहा – ” स्वतंत्रता की अनिवार्य शर्त है,
राष्ट्रीय एकता के लिए लोकतंत्र जरूरी है। अन्नदाता सुखी भवः । स्वदेशी की प्रगति हो। महिलाओं को, सम्मान मिले। युवा शक्ति ही राष्ट्र की शक्ति है, इसमें वृद्धि हो।” अटलजी के कार्यों की जितनी भी चर्चा की जाए वह कम है। अटलजी के भाषणों में उस समय की समस्याएँ, भविष्य की योजनाएं देश और वैश्विक संबंधों की चिंता परिलक्षित होती थी। उनके भाषणों में विश्व के महान विद्वानों’ वेद पुराण, संतों, ग्रंथों के उदाहरण मिलते थे। हमारे देश के नागरिक ही नहीं बल्कि विश्व स्तर के नागरिक भी अटलजी के भाषणों एवं कविताओं की प्रतिभा के कायल थे। अटलजी सिर्फ राष्ट्र नायक ही नहीं थे, बल्कि जन नायक भी थे।
आजादी के अनेक वर्षों बाद भी भारत सड़कों से जुड़ा नहीं था। हजारों गावों ने सड़के नहीं देखी थी। अटलजी का सपना था कि – प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना से लेकर स्वर्णिम चतुर्भुज के माध्यम से देश को सड़क मार्ग से जोड़कर विकास की नई गाथा, लिखी जाना चाहिए।
अटलजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व के धनी को सीमित शब्दों में बांधकर अलमी जामा- देना बहुत कठिन है। । क्योंकि
न केवल भारत में बल्कि विदेशों के लिए कई उम्दा कार्य किए, जिससे विश्व में अटलजी की छवि शांति के पुरोधा के रूप में उभरी थी। एक तरफ पाकिस्तान के शर्मनाक रवैये से जनता स्तब्ध थी, वही विश्व में शान्ति स्थापित करने की अटलजी के प्रयासों की प्रशंसा का सैलाब उमड़ रहा था। यही नहीं बल्कि यहाँ तक विपक्षी भी देश के राजनीतिक गलियारों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ आदर्श राजनीतिज्ञ के रूप में दर्शन करते थे। अटलजी के बोलने की शैली बेहद ही शानदार थी, इसके कारण न केवल पक्ष के राजनेता बल्कि विपक्ष के नेता भी उनकी शैली से सीखने की भावना जागृत होती । विपक्ष के नेता हो अथवा उनके अपने दल के आम कार्यकर्ता सभी को बराबर का सम्मान देना और उनके सुझावों पर गंभीरता से विचार करना उनका स्वभाव था।
अटलजी को देश से नहीं दुनिया भर में अद्भुत व्यक्तित्व व कृतित्व के घनी माने गए। मैं जन्म जयंती के अवसर पर उन्हें अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

- डॉ बी आर नलवाया पूर्व प्रभारी प्राचार्य ,
प्रधानमंत्री कॉलेज आप एक्सीलेंस, मंदसौर