( संवाददाता प्रफुल्ल तंवर )
इंदौर की साईं नाथ मंदिर समिति पिछले 34 सालों से जरुरतमंद भूखों को निशुल्क खिला रही खाना, हर जाति-धर्म के लोगों को मिलता है भोजन.
एनटीवी टाइम न्यूज इंदौर/कहते हैं भूखों को भोजन कराने से बढ़कर कोई पुण्य नहीं होता. इसे इंसानियत का सबसे नेक काम माना गया है. इस काम को इंदौर के नंदा नगर स्थित साईं नाथ मंदिर बीते 34 सालों से बखूबी कर रहा है. कोरोना काल में भी नंदा नगर साईं मंदिर की भोजशाला ने कभी भी जरूरतमंद और भूख से परेशान लोगों को निराश नहीं किया. जिनके पास देने को कुछ नहीं है, उनके लिए भी यहां भरपेट निशुल्क भोजन की व्यवस्था है. इसके अलावा जो लोग यहां प्रतिदिन भोजन करना चाहते हैं, उन्हें 5 रुपए में स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं.
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में यदि किसी गरीब व्यक्ति को भूख लगी हो, तो उसके लिए नंदा नगर के साईं नाथ मंदिर की भोजशाला सबसे उपयुक्त स्थान है. यहां की भोजनशाला जरूरतमंद और गरीबों के लिए कभी भी बंद नहीं होती है. यही वजह है कि बीते 34 सालों से लोग बड़ी संख्या में दोनों समय खाना खाने पहुंचते हैं.

1980 से निरंतर चल रही साईं किचन
भोजशाला के प्रमुख अजय मित्तल बताते हैं कि “गुजरात की प्रसिद्ध संत माता कनकेश्वरी देवी की प्रेरणा से कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला और विजय मित्तल के सहयोग से साल 1980 में यह धार्मिक और सेवा प्रकल्प विकसित किया गया था. शुरुआती दिनों में यहां साधु संत और निराश्रित जरूरतमंदों को निशुल्क भोजन की व्यवस्था की गई थी. धीरे-धीरे यहां बड़ी संख्या में जरूरतमंद सामान्य लोग भी पहुंचने लगे, फिर उनके लिए 5 में भोजन की व्यवस्था शुरू की गई.”

ऐसे चलती है भोजशाला की व्यवस्था
इस भोजनशाला को सतत रूप से चलाने वाले अधिकांश लोग ऐसे दानदाता हैं, जो अपने प्रियजनों के विशेष अवसर जैसे जन्मदिन पुण्यतिथि और अन्य अवसरों पर दान करके या फिर लोगों को भोजन कराकर पुण्य लाभ लेना चाहते हैं. इसके अलावा गुप्त दान के रूप में यहां बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री उपलब्ध करा देते हैं. जिसमें आटा, तेल, मसाले, दाल-चावल आदि होता है. इसके साथ ही भोजशाला के सेवा के कार्य से स्वयंसेवक और समाजसेवी जुड़े हुए हैं.

समाजसेवी देखते हैं पूरी व्यवस्था
ये लोग भोजन तैयार करने से लेकर व्यवस्था देखने के साथ भोजन परोसने के काम में लगे हुए हैं. 5 रुपए का टोकन, खाने की थाली उपलब्ध कराने से लेकर खाना का सर्वे और बर्तन धोने जैसे कामों की जिम्मेदारी उठा रहे हैं. इतना ही नहीं खाना बनाने में जो रसोईया और कुकिंग टीम लगी हुई है. वह भी कहीं ना कहीं सेवा के माध्यम से जुड़ी हुई है. हालांकि संस्था की ओर से सभी को निर्धारित वेतनमान और सहयोग राशि भी दी जाती है.

शादी विवाह के पकवान निशुल्क निशुल्क
शहर में किसी भी धार्मिक सामाजिक और मांगलिक कार्यक्रम में जो साफ-शुद्ध भोजन प्रसादी अथवा भोजन सामग्री बच जाती है. उसे मंदिर समिति द्वारा अपने वहां से एकत्र किया जाता है फिर उसका व्यवस्थित रूप से पैकिंग के बाद वितरण भी किया जाता है. शहर की नगर सीमा में यह सुविधा 24 घंटे के लिए सक्रिय रहती है, जिसमें एक फोन कॉल पर गाड़ी कहीं से भी भोजन एकत्र करने के बाद उसे फ्रिज में रखकर अथवा पैकिंग के बाद जरूरतमंद लोगों को तत्काल बांटने की व्यवस्था में जुटी रहती है.


कई जरूरतमंद बुजुर्गों का एकमात्र सहारा
साईनाथ मंदिर की भोजशाला में कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं, जो या तो अकेले हैं या फिर वे भोजन पानी की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं. ऐसे सीनियर सिटीजनों के लिए समिति द्वारा दोनों टाइम का भोजन उपलब्ध कराया जाता है. इसके अलावा जो बुजुर्ग भोजन करने नहीं आ पाने की स्थिति में है, उन्हें भोजन भेजने के अलावा वहां से भोजशाला लाने की भी व्यवस्था है.”


