( संवाददाता प्रफुल्ल तंवर )
जबलपुर हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि लैंडफिल सेल प्रक्रिया से किया जाना चाहिए यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख का विनष्टीकरण.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि यूनियन कार्बाइड के जलाए गये जहरीले कचरे की राख में रेडियोएक्टिव पदार्थ मौजूद हैं. जिसे लैंडफिल सेल प्रक्रिया से जमीन में दफनाए जाने से मिट्टी व पानी प्रदूषित होगा. उसके उपयोग से मानव व पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई मुख्य याचिका के साथ करने के आदेश जारी किए हैं.
अधिवक्ता बीएल नागर व समाजसेवी साधना कार्णिक ने कोर्ट ने दायर की थी याचिका
भोपाल निवासी अधिवक्ता बीएल नागर व समाजसेवी साधना कार्णिक की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख का विनष्टीकरण लैंडफिल सेल प्रक्रिया से किए जाने योग्य है. जलाए गए कचरे की राख में रेडियोएक्टिव पदार्थ है, इसके अलावा इसमें भारी मात्रा में मरकरी भी है. मरकरी को नष्ट करने की तकनीक सिर्फ जापान तथा जर्मनी के पास है.
रेडियोएक्टिव पदार्थ मिश्रित राख जमीन में दबाए जाने से मिट्टी व पानी दूषित होंगे. जिनके उपयोग से मानवजीवन व पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. याचिका में में बताया गया था कि भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का विनष्टीकरण पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में सफलतापूर्वक कर दिया गया है. जहरीले कचरे से 850 मीट्रिक टन राख व अवशेष एकत्रित हुआ है, राख में बड़ी मात्रा में मरकरी की मात्रा है. मरकरी को नष्ट करने की तकनीक सिर्फ जापान तथा जर्मनी के पास उपलब्ध है.
यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे में रेडियो एक्टिव पदार्थ होने से उसमें जारी थी नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया
यूनियन कार्बाइड फैक्टरी में जहरीला कचरा विगत 40 सालों से पड़ा हुआ था. कचरे में रेडियो एक्टिव पदार्थ होने के कारण उसमें नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया जारी थी. कचरे को नष्ट कर दिया गया है, परंतु उसकी राख में जहरीले तत्व मौजूद हैं.
याचिका में कहा गया था कि जहरीली राख के विनष्टीकरण के संबंध में सरकारी व निजी विशेषज्ञों के अलग-अलग मत हैं. याचिका में कहा गया है कि विशेषज्ञों की राय प्राप्त कर जहरीली राख का विनिष्टीकरण वैज्ञानिक तरीके से किया जाए. याचिकाकर्ता तरफ से अधिवक्ता ऋत्विक दीक्षित ने पैरवी की।