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नारी शक्ति ने सिर पर धारण किया कलश, गायत्री मंत्रोच्चार से गुंजायमान हुआ कोतबा नगर

नारी शक्ति ने सिर पर धारण किया कलश, गायत्री मंत्रोच्चार से गुंजायमान हुआ कोतबा नगर,पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय के मुख्य आतिथ्य में कलश 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शंखनाद।

कोतबा,03 जनवरी 2025

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में आयोजित राष्ट्र जागरण 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की शुरुआत भव्य कलश शोभायात्रा से हुई।पीले वस्त्रों में मातृ शक्ति ने सिर पर कलश धारण कर पूरे कोतबा नगर में गायत्री मंत्रों के साथ शक्ति का संचार किया।

स्थानीय गायत्री प्रज्ञा पीठ से माताओं बहनों ने विश्व ब्रह्मांड के प्रतीक कलश को धारण किया जहां से सती घाट,बस स्टैंड,कारगिल चौक होते हुए कलश यात्रा यज्ञशाला पहुंची जहां अक्षत पुष्प के साथ मातृशक्ति की आरती उतार कर माताओं बहनों का स्वागत किया गया।शांतिकुंज हरिद्वार से आए प्रज्ञा पुरोहितों ने देव कलश आए बड़े भाग्य हमारे,तृप्त हुए नैनन ये दर्श तुम्हारे गीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।कोतबा गायत्री परिवार के द्वारा शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञा पुरोहितों का तिलक चंदन कर अभिनंदन किया गया।यज्ञ आयोजन समिति के द्वारा कलश यात्रा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय का तिलक चंदन कर स्वागत किया गया।

प्रज्ञा पुरोहित श्री वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने वर्ष 1926 में गायत्री मंत्र रुपी ज्ञान का दीप जलाया था जिसका शताब्दी वर्ष आगामी वर्ष 2026 में मनाया जाना है इसी तारतम्य में उक्त विराट यज्ञ आयोजन किया गया है।कलश धारण करने का महत्व बताते हुए श्री तिवारी ने बताया कि ब्रह्म,विष्णु,महेश के साथ देव शक्तियों को धारण करने की क्षमता सिर्फ नारियों में हैं।विश्व में नारी शक्ति ही है जिसके कारण हर बड़े कार्य सिद्ध होते हैं।आज जिस प्रकार नारी शक्ति ने बड़ी संख्या में कलश धारण कर इस कार्यक्रम में देव शक्तियों को अवतरित करने का श्रेष्ठ कार्य किया है उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में दुष्प्रवितियों का विनाश होगा और सत्प्रवृत्तियों का संवर्धन होगा।

कोतबा नगर में स्वर्ग सा माहौल
मनुज देवता बनें,यह धरती स्वर्ग समान,विचार क्रांति अभियान,इसी को कहते युग निर्माण, यहीं संकल्प हमारा जैसे सुमधुर प्रज्ञा संगीत की प्रस्तुति ने कोतबा नगरवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।गायत्री महायज्ञ की शुरुआत के प्रथम दिवस सायंकालीन प्रवचन में श्री तिवारी ने गायत्री मंत्र की दिव्यता का वर्णन किया।
गायत्री मंत्र को तारक मंत्र कहा गया है। ग़ से गंगा,य से यमुना और त्र से त्रिवेणी जो तारने का काम करती है।गायत्री मंत्र परम शक्तिशाली मंत्र है।शक्ति प्रभाव से हटकर विज्ञान की प्रयोगशाला में भी गायत्री मंत्र सर्वोपरि है।इस महामंत्र में सबसे अधिक वाइब्रेशन है जिसके कारण यह अत्यंत प्रभावी है।

सदा मुस्कुराते रहें – श्री तिवारी
श्री तिवारी ने मातृशक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि गायत्री मंत्र हमें हमेशा खुश रहना सीखाता है,सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता है।उन्होंने सभी को उल्लासित रहने का संदेश देते हुए कहा कि खुद भी मुस्कुराएं और दूसरों को भी मुस्कुराने का अवसर दें।

गायत्री मंत्र से हर दुःख संताप से मुक्ति
शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञा पुरोहित वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि आज मानसिक व्यथा दुःख संताप से हर कोई परेशान है।इसका एकमात्र कारण कि व्यक्ति आज खुश नहीं।जब वह अपने आप में खुश रहना सीख जाएगा तो दुःख की अनुभूति नहीं होगी।

हरिद्वार स्वर्ग का द्वार है – गोमती साय
पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय ने नारी शक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी शर्मा के सान्निध्य में कोतबा में गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ है।हरिद्वार नहीं बल्कि स्वर्ग के द्वार से चलकर प्रज्ञा पुरोहित यहां पहुंचे हैं जिनका अभिनंदन उन्होंने किया।समस्त वेदों की जननी गायत्री माता हैं जो नारी शक्ति के साक्षात स्वरूप में विद्यमान हैं।
कार्यक्रम की तैयारी में जुटे समयदानी,श्रमदानी परिजनों को उन्होंने कर्मवीर बताया और उनका अभिवादन किया।

कार्यक्रम का संचालन ब्लाक समन्वयक प्रकाश यादव ने किया।प्रथम दिवस के कार्यक्रम में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से प्रज्ञा परिजन जुटे।स्थानीय कोतबा वासियों ने बढ़ चढ़ कर कलश यात्रा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।

4 जनवरी को डॉ चिन्मय पंड्या का आगमन
उक्त यज्ञ आयोजन के देवस्थापना,देव आवाहन कार्यक्रम के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या का आगमन शांतिकुंज हरिद्वार से हो रहा है।4 जनवरी को प्रातः 7:30 बजे से पूजन क्रम शुरु हो जाएगा।जिसमें देव आवाहन के बाद गायत्री मंत्र की आहुति यज्ञ भगवान को समर्पित की जाएगी।

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