आमिर अहमद
खुद को कर बुलंद इतना कि खुदा तुझसे पूछे बता बंदे तेरी राजा क्या है
संघर्ष करते हुए अपने पति के सपने को पूरा करते दिख रही कल्पना हारोड़े
मुलताई क्षेत्र की एक सफल महिला की कहानी किसी ने सच ही कहा है कि अपने काम के प्रति जुनून और सच्ची लगन हो तो इतिहास को भी बदला जा सकता है जी हां ऐसा ही बेमिसाल निर्भीक और आत्मविश्वास से भरा उदाहरण है कल्पना
कल्पना एक महिला है जिसके पति की मृत्यु होने के बाद अपने बच्चों का भरण पोषण कर एक सफल बिजनेस वूमेन बनने में कामयाब हो रही है आपको बता दे की एक महिला ढाबा चलाकर अपने बच्चों का भरण पोषण कर अपने पति की यादों को भी आगे बढ़ा रही है मुलताई नागपुर फोर लाइन पर कल्पना हारोडे द्वारा ट्रीट 47 नाम से फैमिली रेस्टोरेंट ढाबा का संचालन कर रही है और अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है हालांकि ढाबा संचालक एक महिला द्वारा चलाया जाना एकदम सुनने में आश्चर्य जैसा लगता है परंतु कल्पना ने अपनी योग्यता और अपनी ईमानदारी के साथ इस काम को बखूबी से अपने ही रंग में रंग लिया बताया गया कि उक्त महिला के पति यशपाल द्वारा 2016 से ढाबा संचालित करते थे लेकिन एक घटनाक्रम होने से उनकी मृत्यु के बाद परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी उनकी पत्नी कल्पना पर आ गई उन्होंने पति के व्यवसाय को आगे बढ़ाने को उचित समझा विडंबना देखिए जब उनके पति की मृत्यु हुई तब वह गर्भवती थी और पति के मृत्यु के एक महीने बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई थी वह अपनी दो बेटि और एक बेटे के साथ उनके भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कल्पना ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके साथ इस तरह से घटना क्रम होगा लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने अपने पति के काम को आगे बढ़ने का संकल्प लिया और एक वर्ष से निरंतर रेस्टोरेंट फैमिली ढाबे का कल्पना द्वारा संचालन किया जा रहा है जिससे वहां अपने बच्चों एवं अपने परिवार का पालन पोषण कर रही है संघर्ष की मिसाल कल्पना पति की मृत्यु के बाद चला रही बैतूल नागपुर फोर लाइन पर ट्रीट-47 फैमिली रेस्टोरेंट ढाबा कल्पना के इस कार्य से सभी लोग कल्पना की प्रशंसा करते नजर आ रहे हैं कल्पना की ईमानदारी और मेहनत का ही नतीजा है जो कल्पना अपने व्यवसाय में कामयाब होते नजर आ रही है
