ईरान-अमेरिका वार्ता में परमाणु अधिकारों पर टकराव
ईरान के विदेश मंत्री ने अमेरिका के साथ वार्ता में अपने परमाणु अधिकारों पर अटल रहने की घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान परमाणु हथियार नहीं चाहता और पश्चिम एशिया को परमाणु-हथियार-मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा। वार्ता का लक्ष्य ईरान को परमाणु हथियारों से दूर रखना है, लेकिन परमाणु अधिकारों से वंचित करना अस्वीकार्य होगा।
ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने ओमान में अपनी ‘अप्रत्यक्ष वार्ता’ के चौथे दौर से एक दिन पहले स्पष्ट कर दिया कि उनका देश अमेरिका के साथ वार्ता में अपने परमाणु अधिकारों को लेकर अटल रहेगा। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि शनिवार को दोहा में चौथे अरब-ईरानी वार्ता सम्मेलन में अराघची ने दोहराया कि ईरान हमेशा से परमाणु अप्रसार का प्रतिबद्ध सदस्य रहा है और यूरेनियम संवर्धन सहित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के अपने अधिकार को बनाए रखता है। उन्होंने पुष्टि की, “हम परमाणु हथियार नहीं चाहते हैं और सामूहिक विनाश के हथियारों का ईरान के सुरक्षा सिद्धांत में कोई स्थान नहीं है। यही इस कारण से, हम पश्चिम एशियाई क्षेत्र को परमाणु-हथियार-मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में आगे बढ़े। अराघची ने कहा कि ईरान अमेरिका के साथ-साथ अन्य देशों के साथ सद्भावनापूर्वक बातचीत करना जारी रखेगा।
उन्होंने कहा, “यदि इन वार्ताओं का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ईरान परमाणु हथियार हासिल न करे, तो यह पूरी तरह से प्राप्त करने योग्य है, और समझौता आसानी से हो सकता है।”हालांकि, यदि लक्ष्य ईरान को उसके परमाणु अधिकारों से वंचित करना या अन्य अवास्तविक मांगें थोपना है, तो ईरान इनमें से किसी भी अधिकार से पीछे नहीं हटेगा। ईरान ने बार-बार कहा है कि यूरेनियम संवर्धन का उसके अधिकार पर किसी तरह की बात नहीं हो सकती है और उसने कुछ अमेरिकी अधिकारियों के “शून्य संवर्धन” की मांग को खारिज कर दिया है।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने शुक्रवार को एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका के साथ किसी भी समझौते के तहत ईरान की “संवर्धन सुविधाओं को खत्म करना होगा।” ट्रंप ने तेहरान और विश्व शक्तियों के बीच 2015 के समझौते से खुद (अमेरिका) को अलग कर लिया है। पश्चिमी देशों का मानना है कि अब 2015 के समझौते के लगभग निष्क्रिय होने के बाद ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज कर दिया है और इसका उद्देश्य हथियारों का उत्पादन करना है जबकि ईरान का कहना है कि यह पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए है।