संवाददाता प्रफुल्ल तंवर
भोपाल गैस त्रासदी से बाद दशकों तक पड़े यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाकर खत्म करने की पहल पर गुरुवार का दिन अहम होने जा रहा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट तीन चरण में कचरा जलाने की अनुमति दे चुकी है, वहीं सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना है।
मध्य प्रदेश सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बताना है कि धार जिले के पीथमपुर में भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का कचरा जलाने के दौरान कोई घटना होगी, तो उससे निपटने के लिए उसके पास क्या इंतजाम हैं। यह जवाब राज्य सरकार को उस याचिका पर देना है, जिसमें कहा है कि कचरा जलाने के दौरान अकस्मात आपदा होने की स्थिति में आपदा प्रबंधन के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। माना जा रहा है कि सरकार के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि कचरा जलाने पर रोक लगाई जाए या नहीं।
पीथमपुर में कचरा जलाने की तैयारी पूरी
पीथमपुर स्थित संयंत्र में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने की तैयारी प्रशासन ने पूरी कर ली है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देश पर कचरा जलाने के तीन ट्रायल रन किए जाने हैं।
पहले चरण के तहत गुरुवार सुबह 10 मीट्रिक टन कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू की जानी है। याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि पर्यावरण और स्वास्थ्य नियमों का पालन किए बगैर यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने की तैयारी की गई है।
जिस जगह कचरा जलाया जाना है, वहां से 250 मीटर दूर एक गांव है। एक किमी के दायरे में तीन अन्य गांव हैं, लेकिन स्थानीय नागरिकों को वैकल्पिक स्थान तक उपलब्ध नहीं करवाया गया। कचरा जलाने के दौरान कोई हादसा होता है तो पीथमपुर में अस्पताल भ्री नहीं है।
हाई कोर्ट के आदेश पर जलाया जा रहा कचरा
उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार यूनियन कार्बाइड के कचरे का निस्तारण करा रही है। इसके लिए जनवरी में 337 टन कचरे को भोपाल से धार जिले के पीथमपुर स्थित संयंत्र में लाकर उसे जलाने की तैयारी कर ली गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने कचरे के जलने से उसकी जहरीले तत्वों का जलवायु पर दुष्प्रभाव होने की आशंका जताते हुए विरोध कर दिया था।