बैतूल जिले के आमला में नगरपालिका ने वन विभाग को बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी दी. अभियान जोरों पर चल रहा है.
एन टीवी टाइम प्रतिनिधि/आमला (बैतूल): आमला में कई दिनों से बंदरों ने उत्पात मचा रखा है. शहर के कई इलाकों में ये बंदर झुंड के रूप में धमाचौकड़ी मचा रहे हैं. बंदरों के उत्पात के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बंदरों ने कई लोगों को काटकर जख्मी भी किया है. लोगों की लगातार बढ़ती शिकायतों को देखते हुए नगरपालिका ने अब वन विभाग की मदद से बंदरों को पकड़ने का अभियान चलाया है.
नगरपालिका से राशि वसूला रहा वन विभाग
अभियान के तहत नगरपालिका को प्रति बंदर एक हजार की राशि वन विभाग को देनी पड़ रही है. अभियान कें पहले दिन ही वन विभाग की टीम ने लगभग 3 दर्जन से ज्यादा बंदरों को पकड़ने में सफलता हासिल की. इन बंदरों में शामिल एक बड़े बंदर को भी पकड़ कर अलग पिंजरे में कैद किया गया है. दर्जनों बंदरों के झुंड का सरदार ये बंदर कई लोगों को घायल कर चुका है. हालत ये है कि लोगों का छतों पर जाना मुश्किल हो गया है. वन विभाग का कहना है कि पकड़े गए सभी बंदरों को दूर जंगल में छोड़ दिया जाएगा.
वन विभाग के रेंजर ने किया राशि लेने से इंकार
वहीं, इस दौरान शहर के लोगों का कहना है कि जब शहर में तेंदुआ आता है तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी वन विभाग की होती है, फिर बंदरों को नगरपालिका के भरोसे क्यों छोड़ दिया गया. बंदरों को पकड़ने कें लिए नगरपालिका से राशि वसूली जा रही है. लोगों का कहना है कि बंदर भी तो वन्य प्राणी है तो फिर उनकी पकड़ने की फीस नगरपालिका से क्यों वसूली जा रही है. इस मामले में वन विभाग के रेंजर आर.एस. उइके का कहना है “नगरपालिका से कोई राशि नहीं वसूली जा रही.” वहीं, नगरपालिका अधिकारी वीरेंद्र तिवारी का कहना है “वन विभाग द्वारा प्रति बंदर एक हजार की राशि चार्ज की जा रही है.”