- बच्चों से बिछुड़ने के गम में एक महिला ने आत्महत्या कर ली।
मां के लिए संतान से बड़ा और कोई सुख नहीं होता। उज्जैन में यह बात उस समय फिर साबित हो गई जब बच्चों से बिछुड़ने के गम में एक महिला ने आत्महत्या कर ली। पान विहार निवासी आशाबाई के लिए उसकी दुनिया, उसके बच्चे ही थे। जब वही बच्चे दूर हो गए तो उसका दिल इस वियोग को सहन नहीं कर पाया। बच्चों के बिना अधूरी जिंदगी ने आशाबाई से जीने की वजह ही छीन ली। वे एक साल से अपने मायके में रह रहीं थीं और बच्चों की कस्टडी को लेकर कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहीं थीं। दो दिन पहले यह आस टूट गई, मां के मन में बच्चों के बिना अधूरी जिंदगी का जो दर्द पल रहा था, वह आशाबाई सहन नहीं कर सकीं। उन्होंने जहर खाकर अपनी जान दे दी।
24 साल की आशाबाई का अपने पति हटे सिंह से विवाद चल रहा था। ससुराल वालों ने उसे एक वर्ष पूर्व घर से निकाल दिया था और बच्चे अपने पास रख लिए थे। आशा एक साल से मायके में रह रही थी। बच्चों की कस्टडी को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा था।
आशाबाई को उम्मीद थी कि कोर्ट का फैसला उसके पक्ष में आएगा और वह फिर से अपने बच्चों को सीने से लगा सकेगी। दो दिन पहले जब कोर्ट में सुनवाई की तारीख पर ससुराल वाले पेश नहीं हुए, तो उसकी ये उम्मीदें टूट गईं। बच्चों के बिना जिंदगी की कल्पना से ही उसका दिल बैठ गया। ऐसे में उसने आत्महत्या का निर्णय ले लिया।
अचेत मिली, बचाई नहीं जा सकी– रविवार दोपहर उसके मामा रामेश्वर घर पहुंचे, तो आशाबाई अचेत हालत में मिली। घबराए मामा ने तुरंत खेत पर काम कर रहे उसके माता-पिता को फोन किया। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन देर रात इलाज के दौरान उसकी सांसें थम गईं।
मां के दिल का दर्द सहन नहीं कर पाई
परिवारवालों ने बताया कि आशाबाई अपने बच्चों से दूर होने के कारण पिछले कुछ दिनों से गुमसुम थी। उसे डर था कि कहीं उसके बच्चे उससे हमेशा के लिए न छिन जाएं। यही डर उसके दिल को चीर रहा था। आखिरकार इस दर्द ने उसकी हिम्मत तोड़ दी और उसने ऐसा खौफनाक कदम उठा लिया। निराशा में आशाबाई ने जहर खा लिया।