Monday, April 21, 2025

TOP NEWS

बड़वारा : बिलायत कला...

( संवाददाता मोहम्मद एजाज ) बड़वारा:- कटनी जिले के बड़वारा थाना क्षेत्र के विलायत...

कानपुर : नवीन लग्जरी...

( संवाददाता विशाल सैनी ) कानपुर-जेसिया इंफ्रा ने रविवार को...

कानपुर : जौहर एसोसिएशन...

( संवाददाता विशाल सैनी ) कानपुर–आज एम,एम,ए, जौहर फैन्स एसोसिएशन...

कानपुर : आर्य समाज...

( संवाददाता विशाल सैनी ) कानपुर-आर्य समाज हरजेन्द्र नगर कानपुर...
Homeदेशकेदारनाथ यात्रा पुराने पैदल मार्ग से कराने की तैयारी तेज, 2013 की...

केदारनाथ यात्रा पुराने पैदल मार्ग से कराने की तैयारी तेज, 2013 की आपदा से पहले इसी मार्ग का होता था उपयोग

इस बार केदारनाथ यात्रा पुराने मार्ग से शुरू करने की कवायद तेज हो गई है. मार्ग को दुरुस्त करने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग जुटा है.

देहरादून: उत्तराखंड में साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान जो पैदल मार्ग पूरी तरह से बह गया था, उसे एक बार फिर तैयार किया जा रहा है. बड़ी बात यह है कि इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद केदारनाथ में इसी पुराने पैदल मार्ग पर यात्रा को सुचारू करने की योजना है. दरअसल यह मार्ग न केवल श्रद्धालुओं के लिए ज्यादा सुरक्षित है, बल्कि छोटा होने के कारण सुगम भी है. शायद यही कारण है कि लोक निर्माण विभाग इस मार्ग को जल्द से जल्द दुरुस्त करने की कोशिशों में जुटा हुआ है.

पैदल मार्ग को किया जा रहा दुरुस्त: लोक निर्माण विभाग केदारनाथ में पैदल मार्ग पर तेजी से काम करता दिख रहा है. हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है. लेकिन बावजूद इसके चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले ही पुराने पैदल मार्ग को व्यवस्थित करने के प्रयास हो रहे हैं.माना जा रहा है कि इस साल पुराने पैदल मार्ग से ही यात्रा को सुव्यवस्थित करने का प्रयास है और इसलिए मार्ग को बेहतर करने के लिए दिन-रात काम किया जा रहा है. उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल से होने जा रही है, लिहाजा इससे पहले ही पुराने पैदल मार्ग को तैयार किया जाना है.

चुनौती खड़ी कर रही भारी बर्फबारी और कठोर चट्टानें: उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग वैसे तो काफी पहले से ही इस पुराने मार्ग पर सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद काम शुरू कर चुका है. लेकिन उच्च पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण ऐसी कई चुनौतियां हैं जो इस पैदल मार्ग को बनाने में आ रही है. इसमें सबसे बड़ी चुनौती यहां पर भारी बर्फबारी होना भी है. दरअसल इस क्षेत्र में सर्दियों के समय भारी बर्फबारी होती है और ऐसे में यहां काम कर पाना मुमकिन नहीं हो पाता. लेकिन इसके बावजूद समय पर काम पूरा करने के लिए बर्फ को हटाने के साथ पैदल मार्ग को बनाने का काम किया जा रहा है.

मार्ग के लिए मशीनों का उपयोग: इस दौरान बर्फ हटाने में भी काफी समय लग रहा है और यही लोक निर्माण विभाग के सामने सबसे बड़ी समस्या है. दूसरी बड़ी समस्या इस पैदल मार्ग पर कठोर चट्टानों का होना है. पैदल मार्ग भले ही पूर्व में भी रहा है, लेकिन इस मार्ग पर कठोर चट्टानें मौजूद हैं. जिसे काटकर इस मार्ग को तैयार किया जाना है. हालांकि इसके लिए चट्टान काटने वाली मशीनों का भी उपयोग किया जा रहा है और जल्द से जल्द काम को पूरा करने के लिए नई तकनीक की भी मदद ली जा रही है.

वैसे तो इसका काम पहले से ही चल रहा है. लेकिन अब प्रयास यह है कि चारधाम यात्रा के शुरू होने से पहले ही इस पैदल मार्ग को पूरी तरह से तैयार कर लिया जाए. हालांकि बर्फबारी होने के कारण मजदूर काम नहीं कर पा रहे हैं, साथ ही कठोर चट्टानों को भी हटाया जा रहा है. इस मार्ग का उपयोग वनवे के रूप में भी किया जा सकता है. हालांकि इसका फैसला स्थानीय प्रशासन की तरफ से लिया जाना है और मार्ग को बेहतर तरीके से कैसे उपयोग में लाया जा सकता है.पंकज कुमार पांडेय, सचिव, लोक निर्माण विभाग

केदारनाथ आपदा में बह गया था पैदल मार्ग

केदारनाथ में साल 2013 के दौरान आई भीषण आपदा ने इस पूरे क्षेत्र को बेहद ज्यादा नुकसान पहुंचाया. इस दौरान केदारनाथ का पैदल मार्ग भी पूरी तरह से बह गया था. फिलहाल जिस पुराने पैदल मार्ग को तैयार किया जा रहा है, वह वही रास्ता है जिस पर केदारनाथ आपदा से पहले श्रद्धालु पैदल यात्रा करते थे. केदारनाथ आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक का 7 किलोमीटर का रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद रामबाड़ा से मंदाकिनी नदी के दाएं तरफ केदारनाथ तक नया रास्ता बनाया गया था और इसी रास्ते से फिलहाल पैदल यात्रा हो रही है.

सुगम और सुरक्षित होगी नए पैदल मार्ग पर यात्रा

केदारनाथ यात्रा के दौरान पुराना पैदल मार्ग सुरक्षित और सुगम भी माना जाता है. माना जा रहा है कि पुराने पैदल मार्ग के बनने से केदारनाथ तक पहुंचने की दूरी करीब 3 से 4 किलोमीटर तक कम हो जाएगी. यानी पहले के मुकाबले इस पैदल मार्ग पर यात्रा को सुगम किया जा सकेगा. इसी तरह इस मार्ग को नए मार्ग के मुकाबले सुरक्षित भी माना जाता है. पर्यावरणीय जानकार कहते हैं कि पुराना मार्ग एवलॉन्च के लिहाज से सुरक्षित है और इस मार्ग पर हिमस्खलन होने की कम संभावनाएं हैं. इतना ही नहीं यह पुराना मार्ग भूस्खलन के मामले में भी काफी सुरक्षित है और यहां पर भूस्खलन जोन की संख्या भी कम है. यह सब स्थितियां हैं जो इस मार्ग को सुरक्षित बनाती है. वहीं जो नया मार्ग बनाया गया था उसमें केदारनाथ से हनुमान नाला तक 7 बड़े एवलांच संभावित क्षेत्र हैं, जबकि इसके आगे भीमबली तक 5 बड़े एवलांच संभावित क्षेत्र हैं. जिसके कारण पुराने मार्ग पर यात्रा ज्यादा बेहतर है.

जो पुराना पैदल मार्ग है कि वह सदियों से बना हुआ है और यह तुलनात्मक ज्यादा बेहतर और सुरक्षित था. हिमस्खलन के लिए भी यह मार्ग ज्यादा बेहतर है. साल 2013 में केदारनाथ आपदा से पहले भी इस मार्ग पर एवलॉन्च या भूस्खलन जैसी घटनाएं कम देखने को मिली है. इसलिए यह मार्ग नई मार्ग के मुकाबले ज्यादा बेहतर दिखाई देता है.

  • प्रो. एसपी सती, पर्यावरण विशेषज्ञ

केदारनाथ में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या से मार्ग पर बढ़ रहा है दबाव

केदारनाथ यात्रा में आपदा के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरों के बाद तो श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. ऐसी स्थिति में पैदल मार्ग पर भी श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ा है, इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब पुराने मार्ग के निर्माण से इस दबाव को भी काम किया जा सकेगा.

नारायण शर्मा
नारायण शर्मा
एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments