- बचाव पक्ष का तर्क है कि कप्तान की जानकारी के बिना इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स की तस्करी होना बेहद असंभव है। बचाव पक्ष के वकील यान अप्रिधो ने कहा, हमें पूरा विश्वास है कि असली अपराधियों को छोड़ दिया गया है।

सिंगापुर के ध्वज वाले एक जहाज पर ड्रग्स की तस्करी के आरोपी तीन भारतीय नागरिकों को जुलाई 2024 में इंडोनेशिया में हिरासत में लिया गया था। अब तीनों को मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तीनों की पहचान- 38 वर्षीय राजू मुथुकुमारन, 34 वर्षीय सेल्वादुरई दिनकरन और 45 वर्षीय गोविंदसामी विमलकांधन के रूप में हुई है, जो सिंगापुर में शिपिंग उद्योग में काम करते थे। तीनों को लीजेंड एक्वेरियस कार्गो जहाज पर 106 किलोग्राम क्रिस्टल मेथ की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तीनों तमिलनाडु के रहने वाले हैं।
कैप्टन की गवाही जरूरी थी, लेकिन…
इंडोनेशियाई अधिकारियों ने एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए करीमुन जिले के पोंगकर में जहाज को रोका, जो सिंगापुर से फेरी द्वारा लगभग एक घंटे की दूरी पर है। तीनों को 14 मार्च को एक बड़ा झटका लगा, जब जहाज के कप्तान, जिन्हें व्यक्तिगत रूप से गवाही देने का आदेश दिया गया था, अदालत में पेश नहीं हुए।
इसके बाद अदालत ने कप्तान को 14 मार्च को व्यक्तिगत रूप से गवाही देने के लिए बुलाया। हालांकि, वह केवल ज़ूम के माध्यम से कुछ समय के लिए ही उपस्थित हुए, जिससे बचाव पक्ष द्वारा जिरह नहीं हो सकी।
बचाव पक्ष का कहना है कि कप्तान की गवाही उनके मुवक्किलों की बेगुनाही साबित करने के लिए महत्वपूर्ण है। अभियोजकों ने मौत की सजा की मांग की है, जो इंडोनेशियाई कानून के तहत अधिकतम सजा है।
तीनों का प्रतिनिधित्व भारतीय वकील जॉन पॉल कर रहे हैं, जो भारतीय कानूनी फर्म साउथ एशिया लेक्स लीगल सर्विसेज (एसएएल) के प्रबंध भागीदार हैं। लिंक्डइन पोस्ट के अनुसार, पॉल तमिलनाडु के रहने वाले हैं।
अपने तर्क को मजबूत करने के लिए बचाव पक्ष ने सेवानिवृत्त इंडोनेशियाई नौसेना अधिकारी और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून विशेषज्ञ सोलेमन बी. पोंटो को एक गवाह के रूप में पेश किया। 25 फरवरी को सोलेमन ने गवाही दी कि इंडोनेशियाई कानून के तहत जहाज के कप्तान बोर्ड पर सभी कार्गो के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होते हैं।
बचाव पक्ष के वकील यान अप्रिधो ने कहा, मामला विचाराधीन है और तीनों हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों की बेगुनाही साबित करने के लिए विशेषज्ञ गवाहों की गवाही के साथ-साथ महत्वपूर्ण बचाव सबूत पेश किए जा रहे हैं। मुकदमा चल रहा है और 15 अप्रैल को फैसला आने की उम्मीद है।