करीब दो हफ्ते पहले, पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने जो जख्म भारत को दिए थे, उसका जवाब भारतीय सेना ने बेहद सटीक और निर्णायक तरीके से दे दिया है। 6 और 7 मई की रात, भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी अड्डों पर जबरदस्त हमला किया। घातक ड्रोन और मिसाइलों की मदद से नौ ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय वायुसेना द्वारा मुरिदके स्थित Markaz Tayyeba पर की गई सटीक एयरस्ट्राइक में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के दो हाई वैल्यू टारगेट (HVT) आतंकियों की मौत हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, मारे गए आतंकियों में संगठन का शीर्ष कमांडर हाफिज अब्दुल मलिक और एक अन्य रणनीतिक ऑपरेशंस का मास्टरमाइंड मुदस्सिर शामिल हैं।
मुरिदके लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है, जहां से आतंकी गतिविधियों की योजना बनाई जाती रही है। इसी ठिकाने से भारत के खिलाफ कई बड़े आतंकी हमलों की साजिश रची गई थी। इन दो बड़े आतंकियों के मारे जाने को भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई माना जा रहा है।
क्यों जरूरी थी यह जवाबी कार्रवाई?
22 अप्रैल को कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में आतंकियों ने निर्दोष सैलानियों पर हमला किया था, जिसमें 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली पर्यटक की जान चली गई थी। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त रुख अपनाते हुए साफ कर दिया था कि भारत इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा।
29 अप्रैल को प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई उच्चस्तरीय बैठक में सेना को कार्रवाई की पूरी छूट दे दी गई। सेना प्रमुखों, सीडीएस और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ रणनीति तय हुई, और तय समय पर भारत ने अपना वादा निभाया।