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तारण पंथ का अर्थ है तारने वाला पंथ या मोक्षमार्ग।तारण पंथ अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगा

तारण पंथ का अर्थ है तारने वाला पंथ या मोक्षमार्ग।तारण पंथ अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगा जिसका कोई संस्थापक नहीं। तारण पंथ की प्रवर्तना तीर्थंकर परमात्मा करते हैं

पत्रकार सतेंद्र जैन

आचार्य तारण तरण देव जी ने अपने ग्रंथों में लिखा है कि मैंने जो कहा है वह कुछ अलग से नहीं कहा है जो महावीर ने कहा है वही मैंने कहा है।आचार्य तारण तरण देव जी ने कहा है तू स्वयं भगवान है। तुझमें भगवान बनने की शक्ति है। भगवान कुछ अलग से नहीं होते यदि व्यक्ति पुरुषार्थ करे तो वह भी अरिहंत वह सिद्ध दशा को प्राप्त हो सकता है। आचार्य तारण तरण देव जी ने चौदह ग्रंथों की रचना की जो चारों अनुयोग के हैं।आचार्य तारण तरण देव जी ने मालारोहण में सम्यक दर्शन, पंडितपूजा में सम्यक ज्ञान व कमलबत्तीसी सम्यक चारित्र का विशेषता से वर्णन किया है जो सप्त व्यसन के त्याग कर अठारह क्रियाओं का पालन करता है वह तारण पंथी कहलाता है। ये अपनी पूजा को ‘मंदिर विधि’ कहते हैं। ये मंदिर को ‘चैत्यालय’ कहते हैं। ये अभिवादन के रूप में जय जिनेंद्र एवं जय तारण तरण कहते हैं दमोह जिले की पथरिया रेलवे स्टेशन से 7.5 कि.मी. दूर ग्राम सूखा में आचार्य तारण तरण देव जी की विहार स्थली है।यहाँ कांच मंदिर व विशाल धर्मशाला परिसर है समय समय पर समाज ने अपना अमूल्य समय एवं यहां की प्रगति के लिए योगदान दिआ णमोंकार महामंत्र
णमो अरहंताणं,
णमो सिद्धाणं,
णमो आइरियाणं,
णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं ।

एसो पंचणमोयारो सव्वपावप्पणासणो ।
मंगलाणं च सव्वेसिं पढ़मं होहि मंगलम् ।।

पुष्पावती में जन्म ले, सेमरखेडी. तजराग।
आत्मध्यान निसई धरयो, जग्यो परम वैराग।।
ध्यानध्यान जहॅ करत हैं, निशदिन ध्यान मनोज्ञ।
कर्मारण्य वन दग्धियो, मन वच तन कर योग।।
विहरत देश विदेश में, सूखा कर विश्राम।
गगन सकल चुम्बत रहै, चैत्यालय शुभ ठाम।।
सिध्द भूमि सुहावनी, मंगलमय सुखदाय।
धर्म ध्यान नित प्रति करो, गुरु पद शीश नवाय।।

अतिशय

यहाँ पानी की कमी थी श्री गुरु तारण स्वामी जी ने कहा वहाँ खोदो।तत्पश्चात उसे खोदा गया तो वहाँ भरपूर पानी निकला।
एक बार यहाँ से एक से एक व्यक्ति ईंट ले गया।उस ईंट को दीवार में जितनी बार लगाया उतनी बार दीवार गिरी।उसने ईंट वहीं रखी और दीवार बनायी वो आज तक बनी हुई है।
रात को यहाँ देवगण नृत्य करते हैं।
समय के साथ यहां अतिशय होते रहते हैं
समस्त देशवासियों को पर्यूषण पर्व की हार्दिक शुभ कामनाए आप सभी को जय तारण तरण
जय गुरु देव

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