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2 लाख से ज्यादा कैश ट्रांजैक्शन पर आयकर विभाग की नजर, सुप्रीम कोर्ट ने दिए सख्त निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दो लाख रुपये से अधिक के नकद लेन-देन पर कड़ी चेतावनी जारी की है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट कहा कि जब कोई कानून बनाया गया है, तो उसका सख्ती से पालन भी होना चाहिए। कोर्ट ने वित्त अधिनियम 2017 के उन प्रावधानों के कमजोर क्रियान्वयन पर चिंता जताई, जिनके अंतर्गत 1 अप्रैल 2017 से नकद लेन-देन की सीमा 2 लाख रुपये तय की गई थी।

आयकर अधिनियम की धारा 269ST का उल्लंघन है बड़ा अपराध

सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष एक याचिका थी जो संपत्ति के स्वामित्व से जुड़ी थी। इसमें दावा किया गया था कि एडवांस पेमेंट के तौर पर 75 लाख रुपये की राशि नकद में दी गई थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह न केवल संदेहास्पद लेन-देन है, बल्कि आयकर अधिनियम की धारा 269ST का सीधा उल्लंघन भी है। कोर्ट ने कहा, “जब भी कोई मामला सामने आता है जिसमें 2 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि का भुगतान किया गया हो, तो उस मामले की जानकारी संबंधित क्षेत्र के आयकर प्राधिकरण को दी जानी चाहिए।”

नकद लेन-देन की सूचना आयकर विभाग को देना अनिवार्य

शीर्ष अदालत ने सख्त निर्देश दिए कि यदि किसी भी अचल संपत्ति के लेन-देन या पंजीकरण दस्तावेज में यह दिखाया गया है कि 2 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि नकद में दी गई है, तो संबंधित सब-रजिस्ट्रार को इसकी सूचना तुरंत क्षेत्रीय आयकर प्राधिकरण को देनी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि, “ऐसे मामलों में कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए आयकर विभाग को जांच करने और आवश्यक कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।”

“कानून में अज्ञानता क्षम्य नहीं”: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यह स्थापित स्थिति है कि वास्तव में अज्ञानता क्षम्य हो सकती है, लेकिन कानून में अज्ञानता क्षम्य नहीं मानी जाती।” अदालत ने यह भी कहा कि दो लाख रुपये से अधिक के नकद लेन-देन पर आयकर अधिनियम की धारा 271DA के तहत दंड का भी प्रावधान है, जिसमें जितनी राशि का लेन-देन किया गया है, उतने ही मूल्य का जुर्माना लगाया जा सकता है।

डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया कानून

कोर्ट ने सरकार के 2017 के बजट भाषण का हवाला देते हुए कहा कि यह कदम देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और काले धन पर लगाम कसने के लिए उठाया गया था। बेंच ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि इस प्रकार के कानून का सख्ती से पालन हो, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाले काले धन की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके।”

बड़े नकद लेन-देन से पहले हो जाएं सावधान

अब साफ है कि यदि कोई व्यक्ति 2 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि नकद में लेन-देन करता है, तो वह आयकर कानून के तहत गंभीर मुसीबत में फंस सकता है। इस तरह के मामलों में न केवल आयकर विभाग जांच करेगा, बल्कि छापेमारी जैसी कठोर कार्रवाई भी की जा सकती है। इसलिए, अदालत के इस फैसले के बाद हर किसी को सतर्क रहना जरूरी है और डिजिटल माध्यम से ही बड़ा लेन-देन करना बेहतर रहेगा।

नारायण शर्मा
एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।

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