लोकेश शर्मा
जयपुर में छात्राओं को स्कूल कॉलेज जाना हो, कामकाजी महिलाओं को दफ्तर या अपने कार्यस्थल पर पहुंचना हो या फिर बाहरी क्षेत्र से परकोटा के मुख्य बाजार में खरीदारी करने जाना हो, यात्रियों से ठसाठस भरी सिटी बसों में रोज इन बेटियों को शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है। लेकिन इनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है।
उन्हें घूरती रहती हैं गंदी नजर
बस में चढ़ना हो या फिर यात्रियों के बीच से होकर उतरने के लिए आगे वाले गेट तक पहुंचना हो। इतना ही नहीं चारों तरफ पुरुषों की भीड़ में डरी सहमी खड़े रहने को मजबूर होना पड़े। इन सब जगह किसी न किसी वहशी दरिंदें की गंदी नजर उन्हें घूरती रहती है। यहां तक की भीड़ में छेड़छाड़ करने से भी नहीं चूकते हैं। अधिकांश महिलाएं आपबीती बताने से भी डरती हैं। उन्हें पता है कि कुछ नहीं होने वाला है
चिह्नित मार्गों पर महिला विशेष बसें चलें
पुलिस एक-दो दिन सख्ती दिखाती है, इसके बाद हाल पहले जैसे हो जाते हैं। बस में सफर करने वाली महिलाओं की मांग है कि जिन मार्गों पर यात्रीभार हजारों की संख्या में है और बसों में पैर रखने तक की जगह नहीं रहती। ऐसे चिह्नित मार्गों पर महिला विशेष बसें चलानी चाहिए। गौर करने वाली बात है कि पहले महिला विशेष बसें चलती थीं, लेकिन कोरोना में बंद होने के बाद पुन: चालू नहीं की।
लो फ्लोर व मिडी बसों में ही 40 फीसद महिला यात्री
जयपुर शहर में लो फ्लोर, मिडी व मिनी बसों का जाल फैला है। लो फ्लोर व मिडी बस प्रशासन की मानें तो इनकी बसों में 40 फीसदी महिलाएं सफर करती हैं। मिनी बस में सफर करने वाली महिला यात्री अलग हैं। इसके बावजूद पुरुषों से ठसाठस भरी बसों में मजबूरी में महिलाओं को सफर करना पड़ रहा है।
इन रूट पर ठसाठस भरी बसें
1- खिरणी से ट्रांसपोर्टर : 07 नंबर। 2- चांदपोल से बगरू : 26। 3- 9 ए दादी के फाटक से अग्रवाल फॉर्म। 4- ट्रांसपोर्ट नगर से द्वाकापुरी: 3 नंबर। 5- एसी 2 – गोविंदपुरा से महात्मा गांधी।