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PITHAMPUR : 40 साल बाद साफ होगा जहरीला कचरा, यूनियन कार्बाइड वेस्ट के सुरक्षित निपटान की प्रक्रिया शुरू

PITAMPUR NEWS (प्रफुल्ल तंवर) : Union Carbide Waste: भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के 337 टन में से 10 टन कचरे के सुरक्षित निपटान की प्रक्रिया शुरू हो गई है. HC के आदेशानुसार परीक्षण जारी है.

2-3 दिसंबर, 1984 की रात मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में जहरीली गैस के रिसाव के कारण कई जानें चली गईं. अब 40 साल बाद उसी कारखाने से 337 टन कचरे को साफ करने की प्रक्रिया कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच शुरू कर दी गई है. मध्य प्रदेश के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन कचरे को जलाकर भस्म किया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया को सुरक्षा मानकों के तहत अंजाम दिया जा रहा है.

सुप्रिम कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इनकार

इससे पहले, सुप्रिम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े वेस्ट को पीथमपुर के एक निजी कचरे निपटान संयंत्र में स्थानांतरित करने और निपटाने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.

‘अब खतरनाक रसायनों का प्रभाव खत्म’

सरकार के अनुसार, यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और अन्य अवशेष शामिल हैं. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाणों के मुताबिक इस कचरे में अब खतरनाक रसायनों का प्रभाव लगभग समाप्त हो चुका है, और इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate) गैस का कोई अस्तित्व नहीं है और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं पाए गए हैं.

बोर्ड के अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि अपशिष्ट को भस्म करने से पहले संयंत्र का तापमान 850 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ाया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 72 घंटे लगेंगे. निपटान के दौरान निकलने वाले ठोस अवशेषों, पानी और गैसों का भी उचित तरीके से निपटान किया जाएगा.

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन ने 500 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया है. इंदौर संभाग के आयुक्त दीपक सिंह ने कहा कि कचरे को जलाने की प्रक्रिया केंद्र और राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में संपन्न होगी.

इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस निपटान प्रक्रिया का विरोध करते हुए उच्च न्यायालय जाने की बात कही है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे इस प्रक्रिया के संभावित दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित हैं.

बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी 1984 में हुई थी, जिसमें अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे. इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है.

भोपाल यूनियन कार्बाइड कचरा निपटान पर विवाद

भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे में से 10 टन कचरा 2 जनवरी को पीथमपुर के औद्योगिक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में भेजा गया. मध्यप्रदेश HC ने सुरक्षा मानकों के तहत 27 फरवरी, 4 मार्च और 10 मार्च को परीक्षण का आदेश दिया, जिसकी रिपोर्ट 27 मार्च को पेश की जाएगी.

पीथमपुर में कचरा लाए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन हुए, प्रदर्शनकारियों ने पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम जताए, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया. सरकार का दावा है कि निपटान पूरी तरह सुरक्षित है और जागरूकता के लिए ‘जन संवाद’ कार्यक्रम भी चलाए गए हैं.

सरकार का कहना है कि पीथमपुर संयंत्र में कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए पूरी तैयारी की गई है और इस प्रक्रिया को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए जन संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं.

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