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मेडिटेशन या ध्यान आत्मा के लिए भोजन की तरह है – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़


दीपक तिवारी
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मेडिटेशन या ध्यान आत्मा के लिए भोजन की तरह है । इसके साथ ही यह वैश्विक शांति के लिए भी एक आवश्यकता है। उन्होंने यह बात नई दिल्ली के भारत मंडपम में ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑफ मेडिटेशन लीडर्स (जीसीएमएल) में कही। यह आयोजन वैश्विक नेतृत्व, शासन और सामाजिक कल्याण में ध्यान को एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, “ध्यान केवल एक प्राचीन अभ्यास नहीं है, यह आत्मा के लिए भोजन है और वैश्विक शांति और कल्याण के लिए एक आवश्यकता है।”
धनखड़ ने यह भी कहा कि ध्यान में भारत का नेतृत्व दुनिया भर के प्रयासों से मेल खाता है, जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व ध्यान दिवस को मान्यता देना और जी20 का ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का सपना।” सम्मेलन में वैश्विक सरकारों से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कॉर्पोरेट नेतृत्व और शासन में ध्यान को एकीकृत करने का आग्रह करने का भी प्रस्ताव रखा गया। प्रस्ताव में राष्ट्रीय विकास नीतियों में माइंडफुलनेस को शामिल करने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीतियों की रूपरेखा दी गई है।
कार्यक्रम में बोलते हुए पद्म भूषण दाजी (कमलेश पटेल) ने इस बात पर जोर दिया कि सच्चे आध्यात्मिक विकास के लिए सूक्ष्म शरीर, मन , बुद्धि और अहंकार को बदलना आवश्यक है। ध्यान मस्तिष्क तरंगों, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और समग्र कल्याण को प्रभावित करता है। उन्होंने दुनिया भर की सरकारों से आग्रह किया कि वे ध्यान को राष्ट्रीय कल्याण की आधारशिला के रूप में अपनाएं। उपराष्ट्रपति ने ध्यान को भारत की संस्कृति और शासन का अभिन्न अंग बनाने के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का भी आह्वान किया।

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