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पचमढ़ी : सड़क किनारे बसंती से खरीदी आम की टोकरी,रसीले आम देख मोहन यादव का ललचाया मन

(लोकेश शर्मा)

  • पचमढ़ी से लौटते वक्त रास्ते में आमों को देख सीएम मोहन यादव ने रुकवाया काफिला. महिलाओं से खरीदे आम, बच्चों को बांटे.

पचमढ़ी: हिल स्टेशन पचमढ़ी से पिपरिया लौट रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का मन ग्राम बारीआम में सड़क किनारे रखे देसी आमों पर आ गया. उन्होंने देसी आम का स्वाद लेने के लिए अपना काफिला बीच सड़क पर रुकवा दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने देसी आमों की खरीदारी की. वहीं सड़क किनारे आम बेच रही महिलाओं से आम की बिक्री से होने वाली आमदनी और बच्चों की पढ़ाई को लेकर चर्चा की.

मुख्यमंत्री मोहन यादव को अपने बीच में पाकर आम बेचने वाली महिलाएं और गांव के लोग गदगद हो गए. मुख्यमंत्री मोहन यादव एक दिवसीय प्रवास पर पचमढ़ी आए थे. शाम को पिपरिया वापस लौटते हुए उन्होंने आम बेच रही महिलाओं को आत्मनिर्भर बताया.

सीएम ने पूछी आम से होने वाली आमदनी

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आम बेच रही महिला बसंती टेकाम से पूछा की कितने के आम बिक जाते हैं. महिला ने कहा कि दिनभर में 400-500 रुपए के आम बिक जाते हैं. महिला के पास खड़ी बिटिया को देखकर सीएम ने पूछा क्या यह स्कूल जाती है? महिला ने कहा सीएम राइज स्कूल जाती है. सीएम ने कहा अरे अब उसका नाम सांदीपनि विद्यालय हो गया है.

मोहन यादव ने खरीदे आम

महिला ने मुख्यमंत्री से पूछा कि आपको कितने आम चाहिए. सीएम ने पूछा कितने के आम है. महिला ने कहा ₹50 टोकरी के आम है. इसके बाद सीएम ने आम खरीद कर अपनी जेब से पर्स निकालकर ₹500 दे दिए. उन्होंने उससे दूसरी महिलाओं को भी पैसे देने को कहा.

बच्चों से कहा स्कूल जाया करो

मुख्यमंत्री ने आम खरीदने के दौरान वहां मौजूद बच्चों से स्कूल जाने की चर्चा की. इस दौरान कई बच्चे वहां एकत्रित हो गए. मुख्यमंत्री ने सभी बच्चों से स्कूल जाने की बात कही और उन्हें पढ़ाई का महत्व बताया.

बहनें बन रही आत्मनिर्भर

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया पर आम बेचने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर बताया. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस ‘X’ पर लिखा कि, ”बहनें आत्मनिर्भर बन रही हैं, बच्चे स्कूल जा रहे हैं. यही हमारा ध्येय है, हम साकार कर रहे हैं, पचमढ़ी प्रवास के दौरान आत्मनियता के क्षण.”

जंगल से बीनकर लाते हैं देसी आम

पचमढ़ी से 6 किलोमीटर दूरी पर ग्राम बारी आम है. गांव के आसपास जंगल में बड़ी संख्या में देसी आम के पेड़ पाए जाते हैं. यह आम छोटे साइज के गोल आकार के होते हैं. खट्टे मीठे रसीले आमों को बिना काटे खाया जाता है. ग्रामीण आमों को जंगल से बीनकर लाते हैं और टोकरी में रखकर बेचते हैं. इस काम में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होती है. पचमढ़ी आने वाले पर्यटकों के बीच यह आम काफी लोकप्रिय है.

नारायण शर्मा
एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।

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