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Homeदेश"अगर ''हवस के पुजारी'' हैं तो ''हवस का मौलवी'' क्यों नहीं हो...

“अगर ”हवस के पुजारी” हैं तो ”हवस का मौलवी” क्यों नहीं हो सकता?” धीरेंद्र शास्त्री ने पूछा तीखा सवाल

(नारायण शर्मा)

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर और प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने संत प्रेमानंद महाराज के विचारों पर चल रहे विवाद को लेकर अपनी राय दी है। उन्होंने प्रेमानंद महाराज का विरोध करने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को ‘पेट की बीमारी’ है।

हवस का मौलवी’ क्यों नहीं हो सकता?

धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में आयोजित दिव्य दरबार के दौरान अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कुछ राजनेताओं पर जाति के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे हमेशा से जातिवाद के खिलाफ और राष्ट्रवाद के पक्ष में रहे हैं। उन्होंने मंच से कहा, “इस देश में ‘हवस के पुजारी’ हैं, तो ‘हवस का मौलवी’ क्यों नहीं हो सकता?” उन्होंने यह भी कहा कि लोग मंच से सिर्फ गंगा-यमुना की बात करते हैं, जबकि गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी क्यों नहीं हो सकती? इसी कारण से उनका विरोध होता है।

प्रेमानंद महाराज का विरोध करने वालों को ‘पेट की बीमारी’

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि पहले जब कुछ लोग उनका विरोध करते थे तो उन्हें लगता था कि शायद उनमें ही कोई कमी है। लेकिन जब लोगों ने संत प्रेमानंद महाराज जैसे महान संत का विरोध करना शुरू किया, तो यह साफ हो गया कि कुछ लोगों को सच में ‘पेट की बीमारी’ है। उन्होंने आगे कहा कि इस देश में सच बोलना बहुत मुश्किल है।

सभी मजहब बुरे नहीं होते

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने सभी धर्मों के प्रति अपना दृष्टिकोण भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि हर स्त्री और हर व्यक्ति बुरा नहीं होता। हर किसी का अपने समाज को देखने का एक तरीका होता है। उन्होंने कहा कि हर मजहब में बुरे लोग नहीं होते, लेकिन कुछ तो होते ही हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि यदि बुरे लोगों की भीड़ में एक सच्चा व्यक्ति भी पहुँच जाए तो सबकी नज़र उस पर ही जाती है।

नारायण शर्मा
एन टी वी टाइम न्यूज में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं।

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