Explore the website

Looking for something?

Sunday, November 2, 2025

Enjoy the benefits of exclusive reading

TOP NEWS

जैसलमेर के रिसोर्ट में...

राजस्थान में जैसलमेर जिले के सम सैंड ड्यून्स क्षेत्र में एक निजी रिसोर्ट...

कलेक्टर श्रीमती अंजू पवन...

लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस, दो अधिकारियों पर निलंबन की...

राष्ट्रीय सायबर सुरक्षा जागरूकता...

राष्ट्रीय सायबर सुरक्षा जागरूकता माह के अवसर पर जिला डिण्डौरी में 28 अक्टूबर...

इंदौर BJP में हंगामा,...

( संवाददाता प्रफुल्ल तंवर ) इंदौर में भारतीय जनता पार्टी के भीतर बगावत खुलकर...
Homeदेशमोबाइल कर रहा आपके दिमाग को बीमार, रिसर्च में सामने आए हैरान...

मोबाइल कर रहा आपके दिमाग को बीमार, रिसर्च में सामने आए हैरान कर देने वाले नतीजे; पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ऑस्ट्रेलिया में अमेजन किंडल द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि हमारे फोन ने हमारे दिमाग को कितनी गहराई से बदल दिया है। 78 प्रतिशत प्रतिभागियों ने माना कि वे कम से कम एक घंटे में एक बार अपने फोन की जांच करते हैं। 86 प्रतिशत ने फोन न चेक करने पर शाम तक तनाव महसूस करने की बात कही।

अगर कोई आपसे पूछे कि क्या आपको फोन का एडिक्शन है? तो शायद आप एक झटके में इसे नकार देंगे। लेकिन अगर आप रात को सोने से पहले अपना फोन चेक न करें, तो शायद आपको नींद भी नहीं आएगी।

दरअसल सच्चाई ये है कि आज की तारीख में हर दूसरा शख्स फोन का एडिक्ट हो गया है। आप चाहें दोस्तों-यारों के बीच बैठे हों या कहीं शॉपिंग करने गए हों। नजर उठाकर देखेंगे, तो हर कोई फोन में घुसा नजर आएगा। अब एक रिसर्च में भी फोन एडिक्शन पर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

नोटिफिकेशन के प्रति सेंसिटिव दिमाग

ये स्टडी अमेजन किंडल ने ऑस्ट्रेलिया में की है। इस रिसर्च के नतीजों से पता चलता है कि हमारा दिमाग फोन के नोटिफिकेशन को लेकर कितना सेंसिटिव हो चुका है। कई बार तो ऐसा भी हो जाता है कि फोन में बिना कोई नोटिफिकेशन आए भी हमें उसकी आवाज सुनाई देती है और हम फोन चेक करने लगते हैं।

इसकी तुलना इवान पावलोव के डॉग्स पर किए एक एक्सपेरिमेंट से की जा रही है। दरअसल पावलोव ने डॉग्स को इस तरह ट्रेंड कर दिया था कि घंटी की आवाज सुनते ही वह समझ जाते थे कि अब खाना मिलने की बारी है। इंसानों के लिए भी फोन कुछ इसी तरह का हो गया है।

रिसर्च में क्या पता चला?

  • रिसर्च में हिस्सा लेने वाले 78 फीसदी लोगों ने माना है कि वह हर घंटे एक बार अपना फोन जरूर चेक करते हैं।
  • इसमें से कई लोग ऐसे भी है, जो कम से कम 50 बार अपना स्क्रीन अनलॉक करते हैं।
  • 86 फीसदी लोगों ने माना है कि फोन चेक करने की आदत की वजह से वह शाम होने तक तनाव महसूस करने लगते हैं।
  • 69 फीसदी लोगों ने माना कि हर रात फोन चेक करने के कारण अपने निर्धारित समय से लेट सोते हैं।

मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा असर

विशेषज्ञ मानते हैं कि फोन चेक करने की आदत हमारे अंदर इतना बस चुकी है कि कोई वाइब्रेशन, पिंग या फोन की लाइट ऑन होते ही हम उसे तुरंत चेक करने लगते हैं। इससे किसी भी एक चीज पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है।

इससे न सिर्फ हमारी नींद पर असर पड़ता है, बल्कि मेंटल हेल्थ भी बुरी होती चली जाती है। समय के साथ इससे प्रोडक्टिविटी कम होती है, बेचैनी बढ़ती है और फिर स्थिति बिगड़ती चली जाती है।

कैसे बनाएं फोन से दूरी?

यूं तो आज के डिजिटल दौर में फोन से दूर रह पाना आसान नहीं है, क्योंकि सुबह दूध की दुकान में पेमेंट करने से लेकर रात में न्यूज पढ़ने तक सब कुछ फोन से ही हो रहा है। लेकिन फिर भी कुछ आदतों में बदलाव करके इसे एडिक्शन को कम किया जा सकता है।नियम बना लें कि सुबह उठने के एक घंटे बाद और सोने के एक घंटे पहले फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे और इसका कड़ाई से पालन करें। सप्ताह में किसी एक दिन बिना फोन के रहने की आदत डालें। सोशल मीडिया एप्स के नोटिफिकेशन को बंद कर दें। अगर आस-पास कहीं जा रहे हों, तो फोन को घर पर ही छोड़ दें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version