रायगढ यह कहानी नहीं एक ज़िंदा लोकतंत्र की चीरहरण कथा है, और इसके नायक नहीं, विलेन हैं जिला पंचायत रायगढ़ के सीईओ जितेन्द्र यादव, जो अब ‘सरकारी अफसर’ कम, घोटालेबाजों के ‘पीआर मैनेजर’ ज़्यादा लगते हैं। ढाप गांव में सरपंच सुखीराम पैंकरा और सचिव लोकनाथ नायक पर करोड़ों के फंड घोटाले का आरोप है।
शिकायत पीएमओ तक पहुँची, और जांच का आदेश भी आया। लेकिन फिर हुआ वो, जो शायद भ्रष्टाचार के इतिहास में ‘महागाथा’ कहलाएगा!
जितेन्द्र यादव का आदेश – तारीख़ 24 मार्च को जारी, पेशी रखी 31 जनवरी! हद तो तब हो गई, जब सीईओ जितेन्द्र यादव ने 24 मार्च 2025 को आदेश निकाला, लेकिन जांच की पेशी रखी 31 जनवरी 2025 की, मतलब तारीख़ ऐसी, जो पहले ही बीत चुकी थी!
- क्या सीईओ जितेन्द्र यादव को टाइम मशीन मिल गई है?
- या फिर ये घोटालेबाजों को जांच से बचाने का ‘गज़ब का सरकारी जुगाड़’ है?
जांच आदेश बना एक नौटंकी : सीईओ यादव ने पीएमओ को भी दिखाया ठेंगा !
- प्रधानमंत्री कार्यालय में सख्त शिकायत के बावजूद,
- ना शिकायतकर्ता को बुलाया गया,
- ना दस्तावेज़ तलब हुए,* ना ही जांच टीम ढाप पहुंची।
जितेन्द्र यादव ने दिखा दिया कि पीएमओ का आदेश भी उनके लिए ‘सामान्य पत्र’ भर है, जिसे फाइल में दबाकर घोटालेबाजों को फ्री पास दिया जा सकता है।
ढाप की पुकार : “सीईओ जितेन्द्र यादव जवाब दो!” गांव के लोग अब सवाल नहीं, सीधा ऐलान कर रहे हैं
अगर घोटाले के बाद भी चुप्पी है,अगर जांच सिर्फ कागज़ों में है,और अगर सीईओ जितेन्द्र यादव खुद घोटालेबाजों के पैरोकार बन गए हैं?...तो फिर ये प्रशासन नहीं, साजिश है!
रायगढ़ की सड़कों पर उठ रहा है सवाल – ‘जितेन्द्र यादव किसके लिए काम कर रहे हैं
- क्या पीएमओ को नजरअंदाज करना अब अफसरशाही का स्टाइल बन गया है?
- क्या जितेन्द्र यादव घोटालेबाजों के लिए “सरकारी गारंटी कार्ड” बन गए हैं?
- क्या रायगढ़ का जिला पंचायत सीईओ अब लोकतंत्र के लिए खतरा बन गया है?
अब ये केवल भ्रष्टाचार नहीं – ये सीधा-सीधा ‘व्यवस्था वध’ है!
- जब सीईओ के आदेश में तारीख़ उल्टी हो,
- जब जांच की जगह घोटालेबाजों को तैयारी का समय दिया जाए,
- और जब पीएमओ का आदेश भी बेअसर हो जाए
- तब ये मामला सिर्फ लूट का नहीं, लोकतंत्र की हत्या का होता है!
जितेन्द्र यादव, या तो जवाब दो या कुर्सी छोड़ो!
रायगढ़ पूछ रहा है
- क्या जितेन्द्र यादव को हटाए बिना इस जिले में ईमानदारी की कोई उम्मीद बची है?
- या अब रायगढ़ को भी ढाप बना देना है – जहां घोटाले होते रहें और अफसर उन्हें आशीर्वाद देते रहें?
अब समय है इस चुप्पी को तोड़ने का, इस व्यवस्था को झकझोरने का।रायगढ़ के हर जागरूक नागरिक को यह सवाल अब ऊंची आवाज़ में उठाना होगाक्योंकि जब अफसर ही घोटालों का पर्दा बन जाए, तो जनता कि आखिरी उम्मीद आखिर कहाँ है।