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Mahashivratri 2025 : शिवरात्रि पर खुलेगा पाकिस्तान का बॉर्डर, भारत के 154 हिंदू करेंगे इस अनूठे मंदिर के दर्शन

लोकेश शर्मा

अमृतसर से 154 हिंदुओं का जत्था पाकिस्तान के प्रसिद्ध कटासराज महादेव मंदिर के लिए रवाना हो गया है। जत्थे के लोग इस ऐतिहासिक मंदिर में महाशिवरात्रि मनाएंगे। पाकिस्तान ने मंदिर में दर्शन के लिए भारत के 154 तीर्थयात्रियों को वीजा जारी किए हैं। श्रद्धालु दो मार्च तक मंदिर में दर्शन करेंगे। पौराणिक मान्यता है कि सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने यहां आंसू बहाए थे। इसके अलावा पांडवों ने यहां वनवास का कुछ समय काटा था।

हर साल हजारों तीर्थयात्री दर्शन करने जाते है पाक

पाकिस्तान में कई हिंदू मंदिर हैं। कटासराज महादेव मंदिर पाकिस्तानी पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत शृंखला में हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण दसवीं शताब्दी में खटाना गुर्जर राजवंश ने कराया था। मंदिर के बगल में पवित्र कुंड है। इसमें लोग स्नान करते हैं। हर साल हजारों तीर्थयात्री महादेव के दर्शन करने पहुंचते हैं। दिसंबर में भी भारतीय हिंदुओं का जत्था कटासराज गया था। विभाजन से पहले पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और तक्षशिला के अलावा अफगान क्षेत्र के लोग भी यहां दर्शन करने आते थे। कई लोग पितरों का श्राद्ध और तर्पण यहां के कुंड में करते थे। मंदिर के आसपास सेंधा नमक की खदानें हैं।

एक कुंड पाक में बना तो दूसरा पुष्कर में

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब दक्ष की पुत्री और शिव की पत्नी पार्वती ने यज्ञ में आत्मदाह किया तो भगवान शंकर अथाह शोक के सागर में डूब गए। उन्होंने सती की याद में आंसू बहाए। कहा जाता है कि उन आंसुओं से ही दो कुंडों का निर्माण हुआ। एक का नाम कटाक्ष कुंड है, जो कटासराज मंदिर में है। दूसरा कुंड राजस्थान के पुष्कर में है। कटासराज में ही यक्ष ने पांडवों से प्रश्न किए थे।

पांडवों ने बनवाए थे सात मंदिर

कटासराज शब्द की उत्पति के पीछे भी कहानी है। दक्ष ने अपनी पुत्री सती और भगवान शिव पर कटाक्ष किए थे। इसी वजह से जगह का नाम कटास पड़ा। यहां दो मंदिरों की शिल्प कला बेहद प्राचीन है। कहा जाता है कि पांडवों ने 12 साल के वनवास में से चार साल यहां काटे थे। उन्होंने यहां सात मंदिरों का निर्माण कराया।

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