- उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने दिया आदेश, यदि 45 दिन में पैसे नहीं दिए तो 5 हजार और देने पड़ेंगे
परम फूड्स कॉम्प्लेक्स व जोमैटो को पिज्जा डिलेवरी नहीं करना महंगा पड़ गया। उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (Consumer Court) ने 342 रुपए 6 फीसदी ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया। सेवा में कमी करके परिवादी को जो मानसिक पीड़ा पहुंचाई, उसके बदले में 10 हजार रुपए क्षतिपूर्ति देनी होगी। 5 हजार रुपए केस लडऩे का खर्च अलग से देना होगा। कुल 15 हजार 342 रुपए परिवादी को देने होंगे। 45 दिन में राशि का भुगतान नहीं किया तो 5 हजार रुपए और अतिरिक्त देने पड़ेंगे।
ये है पूरा मामला
टीकमगढ़ निवासी संदीप कुमार रिछारिया ने अपने भांजे का ग्वालियर में बर्थडे मनाया था। 9 फरवरी 2024 को भांजे के लिए परम फूड्स से पनीर टिक्का, पिज्जा मंगाया (Online Food ordering) था। 342 रुपए 11 पैसे ऑनलाइन भुगतान किया। पिज्जा (Pizza) बताए पते पर 30 मिनट के भीतर पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन पिज्जा नहीं आया।
एक घंटे बाद हेल्पलाइन पर फोन किया तो बताया कि आपका ऑर्डर रद्द कर दिया है। ऑर्डर रद्द करने की सूचना भी नहीं दी गई। न पिज्जा के पैसे वापस किए। पिज्जा नहीं आने से परिवादी का भांजा उदास हो गया। भांजे के चेहरे पर जो खुशी थी, वह नहीं रही। पैसे वापस नहीं करने पर उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में परिवाद दायर किया फोरम ने परम फूड्स व जोमैटो को नोटिस दिया।
डायरेक्ट ऑर्डर नहीं लेते
परम फूड्स की ओर से तर्क दिया कि वह डायरेक्ट ऑर्डर नहीं लेते हैं। जोमैटो के माध्यम से बुकिंग की गई थी। जोमैटो को भुगतान किया था। ऑर्डर रद्द जोमैटो ने किया था। इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई। इसलिए उनकी ओर से सेवा में कमी नहीं की है।
जोमैटो (Zomato) की ओर से तर्क दिया कि वह खाद्य पदार्थ नहीं बेचते हैं। वह रेस्टोरेंट से खाद्य पदार्थ लेते हैं और पहुंचाने का काम करते हैं। रेस्टोरेंट व सही पता नहीं होने की वजह से ऑर्डर रद्द हुआ। इसलिए सेवा में कमी नहीं की। संबंधित रेस्टोरेंट की जिम्मेदारी नहीं ले सकते हैं।
फोरम ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सेवा में कमी मानी। दोनों ही उत्तरदायी थे। इसलिए क्षतिपूर्ति के रूप में 15 हजार रुपए देने होंगे।